जम्मू, 25 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कश्मीर विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह परिसर में आर्ट ऑफ लिविंग की क्षेत्रीय निदेशक सुश्री वंदना दफ्तरी द्वारा परिकल्पित लाल देद “लाल बे दरियास“ पर आधारित ओपेरा में भाग लिया। अपने संबोधन में उपराज्यपाल ने महान संत-कवि के जीवन और शिक्षाओं का सम्मान करने के लिए आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन, जम्मू-कश्मीर कला संस्कृति और भाषा अकादमी और कश्मीर विश्वविद्यालय के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि ओपेरा श्रद्धेय लाल देद द्वारा सिखाए गए कालातीत मूल्यों की पुष्टि है जो हमारे समाज को आकार देना जारी रखता है।
कश्मीर की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध करने और समाज को आकार देने में लाल देद के अमूल्य योगदान और गहन प्रभाव को याद करते हुए उपराज्यपाल ने कहा कि लाल देद का संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना उनके समय में था जो हमें धार्मिकता से ऊपर उठने के लिए प्रेरित करता है। लाल देद का प्रभाव समय की सीमाओं से कहीं आगे तक फैला हुआ है। उनका जीवन और शिक्षाएं आज भी उतनी ही गहराई से गूंजती हैं जितनी 14वीं सदी में थीं। उनके आध्यात्मिक ज्ञान और काव्य प्रतिभा ने पूरे समाज को नई संभावनाओं के प्रति जागृत किया।
उपराज्यपाल ने लोगों से श्रद्धेय रहस्यवादी कवि के जीवन से प्रेरणा लेने और उनकी शिक्षाओं से ज्ञान ग्रहण करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि लाल देद की कहानी हमें सिखाती है कि विपत्ति चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हो आंतरिक शक्ति, विश्वास और साहस सबसे कठिन चुनौतियों को भी विकास और ज्ञान के अवसरों में बदल सकते हैं। उन्होंने कहा उनकी शिक्षाएं हमें सच्चाई के मार्ग पर ले जाती हैं, हमें आंतरिक अन्वेषण की यात्रा पर निकलने, आत्मा को शुद्ध करने और हर कार्य में शुद्धता की तलाश करने के लिए प्रेरित करती हैं। उपराज्यपाल ने कहा, “ऐसे समाज में जहां महिलाओं की आवाज अक्सर दबा दी जाती थी, लाल देद की आवाज शक्तिशाली और स्पष्ट थी और वह आवाज आज भी सदियों से गूंज रही है।“
इस अवसर पर उपराज्यपाल ने युवाओं से सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने और लाल देद जैसी महान विभूतियों की शिक्षाओं को संरक्षित करने का आह्वान किया।
उपराज्यपाल ने कहा आप इस भूमि का भविष्य हैं इसकी समृद्ध परंपराओं और मूल्यों के पथप्रदर्शक हैं। लाल देद की शिक्षाएं हर कदम पर आपका मार्गदर्शन करेंगी, आपको दिखाएंगी कि सच्चाई, ईमानदारी और धैर्य से बढ़कर कुछ नहीं है।
इस अवसर पर उपकुलपति कश्मीर विश्वविद्यालय प्रोफेसर नीलोफर खान, प्रमुख सचिव संस्कृति विभाग सुरेश कुमार गुप्ता, क्षेत्रीय निदेशक आर्ट ऑफ लिविंग सुश्री वंदना दफ्तरी, प्रसिद्ध संगीत निर्देशक पंडित कृष्ण, विश्वविद्यालय के संकाय सदस्य और बड़ी संख्या में कला प्रेमी और छात्र उपस्थित थे।
(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा