
-कैंसर कवर बीमा पॉलिसी को लेकर दायर हुई थी याचिका
जोधपुर, 08 मार्च (Udaipur Kiran) । राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश मुनुरी लक्ष्मण ने भारतीय जीवन बीमा निगम की रिट याचिका खारिज करते हुए व्यवस्था दी है कि कैंसर का रोग लक्षण पीइटी स्कैन से नहीं होकर बायोप्सी से ही पता चलता है। उन्होंने स्थाई लोक अदालत जोधपुर महानगर के परिवाद मंजूर करने के फैसले को सही और वाजिब बताया, जिसमें निगम को निर्देश दिया गया कि परिवादी को बीमा राशि 16 लाख रुपये, द्वितीय प्रीमियम किस्त 3824 रुपये मय 8 फीसदी ब्याज और परिवाद व्यय पांच हजार रुपये अदा करें।
भारतीय जीवन बीमा निगम ने रिट याचिका दायर कर कहा कि बीमाधारी दामोदर बागड़ी ने निगम से 22 जनवरी 2018 को कैंसर कवर बीमा पॉलिसी ली थी, जिसकी प्रतीक्षा अवधि 180 दिन होने से 21 जुलाई तक उनकी कोई जोखिम आवरित नहीं थी और पीइटी स्कैन 19 जुलाई को होने से कैंसर की जानकारी मिल जाती है इसलिए दावा देय नहीं होने के बावजूद स्थाई लोक अदालत ने परिवाद मंजूर कर गलत किया है। एर्नाकुलम केरल रहवासी बागड़ी की ओर से बहस करते हुए अधिवक्ता अनिल भंडारी ने कहा कि 24 जुलाई को सॉफ्ट टिश्यू इकट्ठे कर बायोप्सी हुई और कैंसर रोग के लक्षण 29 जुलाई को पता लगे इसलिए रिट याचिका खारिज की जाएं।
न्यायाधीश मुनुरी लक्ष्मण ने रिट याचिका खारिज करते हुए कहा कि पीइटी स्कैन से महज यह पता लगता है कि सैल्स कहां पर ज्यादा एक्टिव है, जबकि सॉफ्ट टिश्यू 24 जुलाई को लेकर बायोप्सी होने से ही कैंसर रोग लक्षण 29 जुलाई को मालूम होने से मरीज का इलाज 30 जुलाई से शुरू किया गया इसलिए रोग लक्षण निश्चित रूप से बीमा पॉलिसी प्रारंभ होने के 180 दिन बाद के है तो स्थाई लोक अदालत के निर्णय में कोई अतिशयोक्ति नहीं है और उनका फैसला सही और वाजिब होने से हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है।
(Udaipur Kiran) / सतीश
