जयपुर, 4 नवंबर (Udaipur Kiran) । लेपर्ड को प्रदेश की जलवायु भा रही है। यहां पर तेजी से इनका कुनबा बढ़ रहा है। वर्तमान में प्रदेश के जंगलों में सात सौ से ज्यादा लेपर्ड निवास कर रहे है। विशेष बात यह है कि लगातार कई लोगों पर हमला कर जान लेने वाले लेपर्ड के शूट एण्ड साइड का ऑर्डर पहली बार जारी किया गया। गोगूंदा में लेपर्ड को आखिर में मौत के घाट उतार ही दिया गया। लेपर्ड के हमले में एक महीने में आठ और तीन महीने के दौरान करीब दस लोगों की जान जा चुकी है।
हाल ही में भारत सरकार ने कराया सर्वे, राजस्थान लेपर्ड के लिए मुफीद
लेपर्ड की संख्या के बारे में भारत सरकार ने इस साल फरवरी में एक रिपोर्ट जारी की है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने इसके लिए वर्ष 2022 में एक सर्वे करवाया। इसमें देश के 18 राज्यों में लेपर्ड की गिनती की गई। ये वो राज्य हैं जहां लेपर्ड पाए जाते हैं और इनके तहत बड़े अभयारण्य हैं। जहां बाघ और लेपर्ड्स का संरक्षण किया जाता है। सर्वे के लिए 32,803 जगहों पर कैमरे लगाए गए। इनसे 4,70,81,881 तस्वीरें ली गईं। उनमें से 85,488 तस्वीरों में लेपर्ड दिखाई दिए। इनके विश्लेषण के आधार पर उनकी संख्या निकाली गई। सर्वे के अनुसार भारत में सबसे ज्यादा लेपर्ड मध्य प्रदेश में हैं। मध्य प्रदेश में लगभग 4 हजार हैं। दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र है जहां इनकी संख्या 1985 पाई गई है। तीसरे नंबर पर कर्नाटक 1830, चौथे पर तमिलनाडु 1070 का नंबर है। राजस्थान में 722 तेंदुए हैं। प्रदेश का पांचवा नंबर है।
प्रदेश में सबसे ज्यादा सरंक्षण मिला रहा लेपर्ड को, राजस्थान में छह जगहों पर वाचिंग स्टेशन
राजस्थान में लेपर्ड को अच्छा सरंक्षण मिल रहा है। यही कारण है कि इनकी संख्या बढ़ रही है। प्रदेश में सात जगहों पर लेपर्ड सफारी है। जिनमें जयपुर आमागढ़ सफारी, जयपुर झालाना सफारी, अलवर में सरिस्का सफारी, कुंभलगढ, सफारी राजसमंद जिले में , पाली जिले के बेरा इलाके और पाली जिले के ही जवाई बांध इलाके में सफारी है। इन जगहों पर लेपर्ड देखे जा सकते हैं। अब सातवीं सफारी उदयपुर में खोलने की तैयारी चल रही है।
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(Udaipur Kiran) / राजेश