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वाम युवा नेता कलतान दासगुप्ता को हाईकोर्ट ने रिहा किया, अदालत की अनुमति के बिना गिरफ्तारी नहीं होगी

कलतान दासगुप्ता

कोलकाता, 19 सितंबर (Udaipur Kiran) । वाम युवा नेता कलतान दासगुप्ता को कलकत्ता हाईकोर्ट ने रिहा कर दिया है। 500 रुपये के बांड पर उनकी जमानत मंजूर की गई है। अदालत ने आदेश दिया कि इस मामले में अदालत की अनुमति के बिना कलतान को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। पुलिस भी अदालत की अनुमति के बिना उनके खिलाफ कोई जांच नहीं कर सकेगी। इस मामले में राज्य सरकार को चार हफ्तों के भीतर हलफनामा दायर करना होगा, जबकि कलतान भी चार हफ्तों के भीतर अपना जवाब दायर कर सकते हैं। मामले की अगली सुनवाई 18 नवंबर को होगी।

गुरुवार को जस्टिस राजर्षि भारद्वाज की एकल पीठ में कलतान के मामले की सुनवाई हुई। अदालत ने कहा कि गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने कलतान का बयान दर्ज किया था और उनका मोबाइल फोन भी जब्त किया गया। अदालत ने माना कि अभी इस मामले में पुलिस की ओर से किसी और जांच की जरूरत नहीं है।

घटना की पृष्ठभूमि में आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज की घटना के विरोध में जूनियर डॉक्टरों ने सॉल्टलेक में स्वास्थ्य भवन के सामने धरना दिया था। माकपा ने भी लालबाजार की ओर मार्च की योजना बनाई थी। इसी बीच, तृणमूल नेता कुणाल घोष ने एक ऑडियो क्लिप जारी की थी, जिसमें किसी के द्वारा जूनियर डॉक्टरों के धरनास्थल पर हमले की साजिश रची जा रही थी। कुणाल ने दावा किया था कि इस हमले की योजना तृणमूल पर दोष डालने के लिए बनाई गई थी। इस ऑडियो के आधार पर पुलिस ने जांच शुरू की और कलतान को गिरफ्तार कर लिया गया।

इस मामले में संजीव दास नाम के एक और युवक को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया था। पुलिस का कहना था कि ऑडियो की जांच के बाद उसमें जो आवाज सुनी गई, वह कलतान की थी। हालांकि, कलतान ने अपनी गिरफ्तारी के बाद इसे साजिश बताया था। पुलिस ने कहा था कि आवाज की जांच कानूनी प्रक्रिया के तहत की जाएगी।

इससे पहले अदालत ने राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी थी कि किन आधारों पर कलतान को गिरफ्तार किया गया। गुरुवार की सुनवाई के दौरान अदालत ने पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए। अदालत ने कहा कि जिस तरह से पेनड्राइव मिला, वह संदिग्ध है। अदालत ने पूछा कि जिसे पेनड्राइव से बरामद किया गया, उसे पूछताछ के लिए क्यों नहीं बुलाया गया ? जस्टिस भारद्वाज ने सवाल उठाया कि अगर हमला करने की योजना थी, तो पुलिस ने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की ? अदालत ने कहा, 18-19 साल के बच्चों को पकड़कर लाया जा रहा है। उनका भी भविष्य है! अदालत ने यह भी सवाल किया कि ऑडियो क्लिप पहले एक राजनीतिक व्यक्ति के हाथ में कैसे पहुंची ?

राज्य के वकील ने अदालत को बताया कि पिछले 10 महीनों में संजीव और कलतान के बीच 171 बार फोन पर बातचीत हुई थी, जिससे साबित होता है कि वे एक-दूसरे को जानते थे। राज्य सरकार का तर्क था कि इस योजना में संजीव अर्जुन थे और कलतान कृष्ण की भूमिका में थे। कलतान के वकील बिकाशरंजन भट्टाचार्य ने कहा, उन्होंने किसी हमले का आदेश नहीं दिया। एक ऑडियो क्लिप सामने आई है जिसमें हमले की बात हो रही है, लेकिन कोई निर्देश तो नहीं दिया गया!

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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