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नए आपराधिक कानूनों के खिलाफ दिल्ली की जिला अदालतों में वकीलों ने किया न्यायिक कार्यों का बहिष्कार

दिल्ली के साकेत कोर्ट में प्रदर्शन करते वकील
दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट में प्रदर्शन करते वकील
दिल्ली के पटियाला कोर्ट में प्रदर्शन करते वकील

नई दिल्ली, 15 जुलाई (Udaipur Kiran) । नए आपराधिक कानूनों के विरोध में आज दिल्ली के वकीलों ने दिल्ली की सातों जिला अदालतों में न्यायिक कार्यों का बहिष्कार किया। इस दौरान वकीलों ने कोर्ट परिसरों में नारे लगाते हुए इन कानूनों के विरोध में पर्चे बांटे।

वकीलों के अखिल भारतीय संगठन ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन की दिल्ली इकाई ने नए आपराधिक कानूनों के विरोध में शुरू किए गए अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। यूनियन के नेताओं ने इस मौके पर निचली अदालतों के परिसरों में वकीलों और पक्षकारों के बीच इस कानून के विरोध में छपे पर्चे बांटे।

आज सुबह करीब दस बजे से ही सभी जिला अदालतों में वकीलों ने इन कानूनों के विरोध में नारेबाजी शुरू कर दी। जिन पक्षकारों के मामलों की आज सुनवाई थी, वे बिना वकील के कोर्ट में गए और सुनवाई की अगली तिथि लेकर लौटे।

कड़कड़डूमा कोर्ट के प्रवेश गेट पर वकील करीब दो घंटे तक नारे लगाते रहे। साकेत कोर्ट में भी सभी वकीलों ने न्यायिक कार्यों का बहिष्कार किया। इसी तरह रोहिणी कोर्ट, तीस हजारी कोर्ट, पटियाला हाउस कोर्ट और द्वारका कोर्ट से वकीलों के कार्य बहिष्कार करने की सूचना है।

हड़ताल का आह्वान दिल्ली की सात जिला अदालतों के ऑल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट्स बार एसोसिएशन कोआर्डिनेशन कमेटी ने किया था। कोआर्डिनेशन कमेटी के महासचिव अतुल कुमार शर्मा और चेयरमैन जगदीप वत्स ने कहा कि नए आपराधिक कानूनों में हिरासत के प्रावधान काफी क्रूर हैं और इससे न्याय मिलना काफी मुश्किल हो जाएगा। पुलिस स्टेशनों में पक्षकारों के बयानों को दर्ज करना न्याय के हक में नहीं है।

ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन के दिल्ली इकाई के सचिव सुनील कुमार ने कहा कि नए कानून से हमारे देश का चरित्र कल्याणकारी राज्य से बदल कर पुलिसिया राज्य हो जाएगा। पुलिस को असीमित अधिकार मिल जाएंगे। सुनील कुमार ने कहा कि पुलिस हिरासत को 15 दिनों से बढ़ा कर 60 से 90 दिन करने का प्रावधान से हिरासत में प्रताड़ना के मामले बढ़ेंगे। नए भारतीय न्याय संहिता की धारा 150 के तहत राजद्रोह शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया है लेकिन इतना अस्पष्ट है कि ये स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति के अधिकार पर हमला है। ये कानून आतंकवाद संबंधी कानूनों को सामान्य बनाने के अलावा पुलिस को मनमाना अधिकार देकर औपनिवेशिक काल से भी ज्यादा क्रूर है।

(Udaipur Kiran) / संजय

(Udaipur Kiran) पाश / दधिबल यादव

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