-कानून, प्रबंधन, मीडिया आदि मिलेंगे तभी नवाचार व सशक्तिकरण संभव: जस्टिस एमएम कुमार
-बोले, कानून कोई बाधा नहीं, बल्कि परिवर्तन का उत्प्रेरक
-एसजीटीयू में अंतरराष्ट्रीय बहु-विषयी सम्मेलन का भव्य शुभारंभ
गुरुग्राम, 30 मई (Udaipur Kiran) । एसजीटी विश्वविद्यालय के विधि संकाय द्वारा जनसंचार एवं मीडिया प्रौद्योगिकी संकाय के सहयोग से शुक्रवार को दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय बहु-विषयी सम्मेलन (आईसीसी 2025) का शुभारंभ किया गया। इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति हरवीर सिंह मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे। जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एम.एम. कुमार विशिष्ट अतिथि रहे।
यह सम्मेलन हाइब्रिड मोड में आयोजित किया जा रहा है। जिसका विषय है-कानून, प्रबंधन, संचार प्रौद्योगिकी एवं अभियांत्रिकी के माध्यम से भविष्य का पुनर्निर्माण: एक सतत, सुखद कल की ओर। इसका उद्देश्य दुनिया भर के शोधकर्ताओं, नीति निर्माताओं, उद्योग विशेषज्ञों, शिक्षाविदों और छात्रों के लिए ज्ञान और विचारों के आदान-प्रदान का सशक्त वैश्विक मंच प्रदान करना है। अपने संबोधन में न्यायमूर्ति हरवीर सिंह ने कार्यक्रम में कहा कि कानून समाज को केवल नियंत्रित ही नहीं करता, बल्कि नैतिक आचरण का भी मार्गदर्शन करता है। सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में संतुलन बनाए रखता है। न्यायमूर्ति एम.एम. कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि कहा कि कानून कोई बाधा नहीं, बल्कि परिवर्तन का उत्प्रेरक है। उन्होंने निजता को एक मौलिक मानव अधिकार बताते हुए प्रभावी साइबर कानूनों की आवश्यकता पर बल दिया।
उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे इंडस्ट्री 5.0 युग में विश्व कदम रख रहा है, यह सम्मेलन वैश्विक चुनौतियों के लिए एकीकृत और दूरदर्शी समाधान तलाशने के लिहाज से बेहद प्रासंगिक बन गया है। सम्मेलन में चर्चा हुई कि कैसे कानून, प्रबंधन, मीडिया और इंजीनियरिंग जैसे विभिन्न विषय एक-दूसरे से जुडक़र नवाचार, स्थिरता, नैतिक शासन और तकनीकी सशक्तिकरण को बढ़ावा दे सकते हैं। सम्मेलन में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के कई विशेषज्ञों की भागीदारी रही। प्रोफेसर ऐनी-थिदा नोरोडोम, पूर्व उपनिदेशक, पेरिस सिटे विश्वविद्यालय, फ्रांस ने विशेष आमंत्रित अतिथि के रूप में भाग लिया। डॉ. एम.एन. होडा, निदेशक, बीवीआईसीएएम, गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, नई दिल्ली, विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डेनियल एच. स्टीन और प्रोफेसर छाया भारद्वाज ने मुख्य वक्ता के रूप में अपनी प्रस्तुतियों में कानून, संचार और नैतिक नवाचार की भूमिका पर विचार रखे। प्रो. ऐनी-थिदा नोरोडोम ने अपने संबोधन में डिजिटल गवर्नेंस के लिए एकजुटता को एक मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में प्रस्तुत किया। प्रो. (डॉ.) आभा सिंह, प्रो-वाइस चांसलर, एसजीटी विश्वविद्यालय ने अपने संबोधन में कानून को मानवता, स्थिरता, नैतिकता और उन्नत तकनीकों के साथ जोडऩे की आवश्यकता पर बल दिया।
(Udaipur Kiran)
