शिमला, 18 मई (Udaipur Kiran) । कुल्लू जिले की 126 मेगावाट क्षमता वाली लारजी जल विद्युत परियोजना को दो वर्ष से भी कम समय में पूरी तरह बहाल कर दोबारा कार्यशील कर दिया गया है। यह परियोजना 9 और 10 जुलाई 2023 को ब्यास नदी में आई भीषण बाढ़ के चलते बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई थी, जिससे विद्युत उत्पादन पूरी तरह रुक गया था। परियोजना की बहाली राज्य सरकार की तत्परता, कुशल नेतृत्व और विभागीय समर्पण से संभव हो पाई है, जिससे बड़े आर्थिक नुकसान से प्रदेश को बचाया जा सका।
एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में सरकार ने सबसे पहले इस परियोजना की मरम्मत के लिए 25 करोड़ रुपये की राशि जारी की। इसके बाद 35 करोड़ और फिर 185.87 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि स्वीकृत की गई। मुख्यमंत्री ने परियोजना की बहाली में जुटे हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड के अभियंताओं और कर्मचारियों की कड़ी मेहनत और समर्पण की सराहना की। परियोजना की यूनिट-1 को 15 जनवरी, 2024 को फिर से शुरू किया गया और 2 मई, 2024 को इसे पॉवर ग्रिड से जोड़ा गया। इसके बाद यूनिट-2 को 9 अगस्त, 2024 को और यूनिट-3 को 17 जनवरी, 2025 को शुरू किया गया। वर्तमान में परियोजना की सभी तीनों टरबाइन कार्यशील हैं और विद्युत उत्पादन पूरी क्षमता के साथ आरंभ कर दिया गया है।
प्रवक्ता ने कहा कि बाढ़ के चलते टरबाइन इकाइयों में भारी मात्रा में मलबा जमा हो गया था, जिसे मशीनों से हटाना संभव नहीं था। इस चुनौतीपूर्ण कार्य को मैनुअल श्रमिक बल द्वारा पूर्ण किया गया। भविष्य में आपदाओं से बचाव के लिए परियोजना स्थल पर कई सुरक्षात्मक उपाय भी किए गए हैं। ढलानों को स्थिर करने के लिए केबल जाल और रॉक-फॉल बैरियर लगाए गए हैं। सर्ज शाफ्ट गेट के पास कार्य पूरा कर लिया गया है, जबकि पॉवर हाउस के प्रवेश द्वार पर भी सुरक्षा कार्य प्रगति पर है। इसके अलावा बाढ़ के दौरान जलप्रवाह को नियंत्रित करने के लिए प्रवेश सुरंग पर एक मजबूत जलरोधी गेट स्थापित किया गया है। इसी प्रकार का गेट आपातकालीन निकास सुरंग में भी लगाया जा रहा है, जिसमें सुरक्षित निकासी और जलरोधिता सुनिश्चित करने के लिए निर्माण कार्य चल रहा है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 1953 में लारजी क्षेत्र में ब्यास नदी पर आई भीषण बाढ़ में 3838.37 क्यूमेक्स पानी का बहाव दर्ज किया गया था, जबकि 2023 की बाढ़ में यह आंकड़ा 5600 क्यूमेक्स तक पहुंच गया था, जो कि पहले की तुलना में काफी अधिक था। इसके बावजूद, सरकार के समयबद्ध प्रयासों से इस महत्वपूर्ण परियोजना को पुनर्जीवित कर प्रदेश को ऊर्जा क्षेत्र में मजबूती प्रदान की गई है।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
