जगदलपुर, 11 जुलाई (Udaipur Kiran) । बस्तर गोंचा पर्व में गुरूवार काे देर शाम 7:45 बजे हेरा पंचमी पूजा विधान में श्रीमहालक्ष्मी जी की दो डोली नगर भ्रमण एवं रथ परिक्रमा स्थल से होते हुए गुडि़चा मंदिर सिरहासार भवन पहुंची।जहां नाराज श्रीमहालक्ष्मी के साथ लक्ष्मी-नारायण संवाद हुआ। जिसके बाद वापस लक्ष्मी जी की दो डोलियां जगन्नाथ मंदिर पहुंचकर श्रीमहालक्ष्मी काे परंपरानुसार स्थापित करवाया गया।
बस्तर गोंचा पर्व की रियासत कालीन परंपराओं के अनुसार भगवान जगन्नाथजी श्रीमंदिर से रथारूढ़ होकर निकलने के बाद चार दिनों तक वापस श्रीमंदिर नहीं लौटते हैं।भगवान जगन्नाथ के हरण की आशंका से श्रीमहालक्ष्मी जी आषाढ शुल्क पक्ष पंचमी को पौराणिक मान्यताओं के अनुसार उन्हे ढूढंने निकलती हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मनाये जाने वाले इस पूजा विधान को हेरा पंचमी पूजा विधान के रूप में लक्ष्मी-नारायण संवाद के साथ प्रति वर्ष संपन्न किया जाता है।
360घर आरण्यक ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष ईश्वर खंबारी ने बताया कि बस्तर गोंचा महापर्व का महत्वपूर्ण पड़ाव हेरा पंचमी पूजा विधान में श्रीजगन्नाथ मंदिर से दो डोलियां निकाली गई ।जिसमें परम्परानुसार पहली डोली राजपरिवार, राजगुरू एवं कुवंर परिवार के यहां से होते हुए जगन्नाथ मंदिर के मुख्य द्वार मेंं पहुंची ।जिसके पश्चात दूसरी डोली भी जगन्नाथ मंदिर से निकालकर दोनों डोलियां एक साथ रथ परिक्रमा स्थल से होते हुए सिरहासार भवन गुडि़चा मंदिर पहुंची।भगवान श्रीजगन्नाथ को गुंडि़चा मंदिर में अपनी मौसी के घर मिलने पर नाराज श्रीमहालक्ष्मी द्वारा अपनी नाराजगी भगवान श्रीजगन्नाथ के समक्ष रखने के संवाद को ही लक्ष्मी-नारायण संवाद कहा जाता है।
बस्तर गाेंचा समिति के अध्यक्ष विवेक पांडे ने बताया कि रियासत कालीन परंपरानुसार आज बस्तर गाेंचा महापर्व में आषाढ शुक्ल पक्ष के पंचमी तिथि पर श्रीमहालक्ष्मी जी के द्वारा भगवान जगन्नाथजी के हरण की आशंका से ढूढंने निकलना और भगवान जगन्नाथ को गुंडिचा मंदिर में संवाद की इस परम्परा को हेरा पंचमी पूजा विधान के रूप में मनाया जाता है।
(Udaipur Kiran) / राकेश पांडे / केशव केदारनाथ शर्मा