कुशीनगर, 16 जुलाई (Udaipur Kiran) । जनपद में 10.15 करोड़ की लागत से बनने वाली एफडीआर (फूल डेफ्थ रिक्लेमेशन) तकनीक से बन रही 11 किमी लंबी गोबरहीं-हेतिमपुर सड़क विभागीय लापरवाही की भेंट चढ़ गई है। स्थिति यह है मार्च माह से शुरू सड़क का कार्य जून तक पूरा हो जाना था, किंतु 50 मीटर ही कार्य हो पाया। जिससे इस महत्वपूर्ण सड़क पर आवागमन करने वालों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
विभाग अब बरसात बाद कार्य पूर्ण कराने की बात कर रहा है। 10.37 किमी. लंबे व 5.50 मीटर चौड़े मार्ग के निर्माण हेतु शासन से 10 करोड़ 15 लाख रुपया अवमुक्त हुआ है। बीते पांच वर्ष से यह मार्ग क्षतिग्रस्त था। बड़े-बड़े गड्ढे थे। 10 किमी. की दूरी वाहन चालकों को तय करने में काफी समय लगता था। वर्ष 2023 के अक्टूबर माह में 100 मीटर सड़क का निर्माण कराकर जाब फार्मूला टेस्टिंग के लिए मटेरियल कानपुर आइआइटी रूड़की को भेजा गया था। वहां से स्वीकृत मिलने के बाद बीते अप्रैल माह में स्टेट क्वालिटी मानिटर विमल कुमार ने विभागीय अभियंताओं को साथ लेकर मार्ग के प्रथम लेयर का कार्य कराया। नियमत: प्रथम लेयर बनने के 28 दिन बाद पिचिंग का कार्य हो जाना चाहिए। ठीकेदार एवं विभागीय लापरवाही से पिचिंग का कार्य समय से शुरू नहीं हुआ। पहले दिन हेतिमपुर की ओर से 50 मीटर पिच हुआ कि वर्षा शुरू हो गई। इसके बाद कार्य को रोक दिया गया।
कार्यदायी संस्था प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के सहायक अभियंता संजय राय ने बताया कि विभाग स्तर से कोई लापरवाही निर्माण कार्य में नहीं हुई है। मार्ग नए तकनीक से बन रहा है। हर कार्य की जांच होती है। स्वीकृत मिलने के बाद दूसरे चरण का कार्य कराया जाता है। वर्षा के कारण पिचिंग का कार्य रूका है। साइड पर ही सारी मशीनरी पड़ी है। जैसे ही बरसात समाप्त होगा निर्माण कार्य पूर्ण करा दिया जाएगा।
क्या है एफडीआर तकनीक
देश के इंजीनियरों ने सड़क निर्माण में बढ़ते लागत को कम करने के लिए इस तकनीक को विकसित किया है। इसमें पुराने मार्ग में प्रयुक्त मटेरियल में ही केमिकल और सिमेंट मिलाकर मार्ग बनाया जाता है। यह एक सफल मिश्रण डिजाइन का अंतिम परिणाम समुच्य और दामर बाइंडर का अनुसंस्ति मिश्रण है।
(Udaipur Kiran) / गोपाल गुप्ता / मोहित वर्मा