जम्मू, 19 फ़रवरी (Udaipur Kiran) । कुपवाड़ा के दो युवा एथलीट रिफत रसूल और स्नोबर फैयाज ने छठी एशियाई सावेट चैंपियनशिप में भाग लेकर क्षेत्र को गौरव और पहचान दिलाई है। उनका उल्लेखनीय प्रदर्शन दूरदराज के क्षेत्रों के महत्वाकांक्षी एथलीटों की अपार क्षमता को उजागर करता है और खेलों की परिवर्तनकारी शक्ति को रेखांकित करता है।
नई दिल्ली के प्रतिष्ठित तालकटोरा इंडोर स्टेडियम में आयोजित इस चैंपियनशिप में 16 से अधिक देशों के एथलीटों ने कड़ी प्रतिस्पर्धा की। अंतर्राष्ट्रीय सावेट फेडरेशन के तत्वावधान में एशियाई सावेट परिसंघ द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम ने पूरे एशिया में खेल की बढ़ती लोकप्रियता को प्रदर्शित किया।
इस चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए कुपवाड़ा के हंदवाड़ा में ओलंपियन फैसल मार्शल आर्ट अकादमी के छात्र रिफत रसूल और स्नोबर फैयाज ने दो दिवसीय टूर्नामेंट में कौशल और दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन किया।
कुपवाड़ा जिला मुख्यालय से 32 किलोमीटर और श्रीनगर से 80 किलोमीटर दूर स्थित मावर की रहने वाली रिफ़त रसूल ने 56 किलोग्राम भार वर्ग में भाग लिया। उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ़ कड़ी टक्कर दी और कई चुनौतीपूर्ण मुकाबलों के बाद रजत पदक हासिल किया। नेपाल के एक कठिन प्रतिद्वंद्वी से तीसरे दौर में हारने के बावजूद रिफ़त का प्रदर्शन सराहनीय रहा।
रिफ़त ने बताया कि यह मेरे लिए अपने जिले से बाहर पहली बार प्रतिस्पर्धा करने का मौका था। हालाँकि मैं स्वर्ण पदक नहीं जीत पाई लेकिन यह अनुभव अमूल्य था। मैंने बहुत कुछ सीखा है और अब समझती हूँ कि मुझे किन क्षेत्रों में सुधार करने की ज़रूरत है ।
कुपवाड़ा के सुदूरवर्ती खांडी खास गाँव की रहने वाली स्नोबार फ़याज़ ने भी 56 किलोग्राम भार वर्ग में भाग लिया। उन्होंने अपने मुकाबलों में अलग-अलग देशों के प्रतिद्वंद्वियों से मुकाबला करते हुए शानदार लचीलापन दिखाया। हालाँकि उन्हें तीसरे दौर में एक अधिक अनुभवी प्रतियोगी के खिलाफ़ हार का सामना करना पड़ा।
स्नोबार ने अपनी यात्रा के बारे में बताते हुए कहा कि मैंने पूरी ताकत से लड़ाई लड़ी लेकिन तीसरे राउंड में मेरी पकड़ ढीली पड़ गई। यह अनुभव सीखने का एक बेहतरीन अवसर रहा है और अब मैं अपनी ताकत और कमजोरियों को जानती हूं। रिफत और स्नोबार की उपलब्धियां कश्मीर में महिला खेलों के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हैं। ओलंपियन फैसल मार्शल आर्ट अकादमी की प्रशिक्षक सुमाया नजीर ने उनकी उपलब्धियों पर गर्व व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि हम उनकी जीत का जश्न अपनी जीत की तरह मनाते हैं। हमारी अकादमी समाज में बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है और हम अपने छात्रों को इतने प्रतिष्ठित स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए देखकर रोमांचित हैं। पिछले दो दशकों से हंदवाड़ा में युवा एथलीटों को प्रशिक्षित करने वाले मुख्य कोच फैसल नजीर ने युवाओं के भविष्य को आकार देने में खेलों के महत्व पर जोर दिया। उन्हाेंने कहा कि हमारा उद्देश्य युवाओं को खेलों में शामिल करना और उन्हें नकारात्मक प्रभावों से दूर रखना है। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ दिमाग रहता है और स्वस्थ जीवन के लिए उचित व्यायाम आवश्यक है। नजीर ने कहा कि मुझे अपने छात्रों पर बहुत गर्व है जो न केवल स्थानीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बना रहे हैं। इन युवा एथलीटों की भागीदारी और सफलता क्षेत्र के महत्वाकांक्षी खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का काम करती है जो साबित करती है कि समर्पण, प्रशिक्षण और सही समर्थन के साथ दूरदराज के क्षेत्रों के एथलीट भी वैश्विक मंच पर प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं।
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(Udaipur Kiran) / अश्वनी गुप्ता
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