West Bengal

धर्मतला में एसएलएसटी अभ्यर्थियों के धरने में शामिल हुए कुणाल घोष, हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से हस्तक्षेप की मांग

एसएलएसटी अभ्यर्थियों के धरने में शामिल हुए कुणाल घोष

कोलकाता, 28 फरवरी (Udaipur Kiran) । पश्चिम बंगाल में शिक्षक नियुक्ति को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। 2016 के एसएलएसटी (स्कूल सर्विस कमीशन) अभ्यर्थियों की नियुक्ति प्रक्रिया कानूनी उलझनों में फंसी हुई है, जिसके चलते शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस के नेता कुणाल घोष के नेतृत्व में धर्मतला में धरना दिया गया। अभ्यर्थियों का आरोप है कि मामले की सुनवाई लगातार लंबी खिंच रही है और उनकी नियुक्ति में देरी हो रही है। उन्होंने इस मुद्दे पर कलकत्ता हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के हस्तक्षेप की मांग की है।

शुक्रवार को हाई कोर्ट के आदेश के बाद 2009 के योग्य अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र जारी कर दिया गया, लेकिन 2016 के एसएलएसटी अभ्यर्थियों को अभी तक न्याय नहीं मिला। इससे नाराज अभ्यर्थियों ने धर्मतला में विरोध प्रदर्शन किया। उनका कहना है कि वे लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं, फिर भी उनकी मांगों को अनसुना किया जा रहा है।

विरोध प्रदर्शन के दौरान कई अभ्यर्थियों की आंखों में आंसू आ गए, जिसे देखकर कुणाल घोष खुद को रोक नहीं सके और आंदोलनकारियों के समर्थन में उतर आए। उन्होंने कहा कि अदालत में मामला वर्षों से लंबित है। विकास रंजन भट्टाचार्य जैसे कुछ वकील बार-बार केस दायर कर नियुक्ति प्रक्रिया को रोक रहे हैं, जबकि राज्य सरकार बार-बार कह रही है कि वह खाली पदों को भरना चाहती है। इतने सालों से युवा संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन अभी तक उनकी नियुक्ति नहीं हो सकी। वे मानसिक रूप से टूट चुके हैं और मैं इस अन्याय के खिलाफ उनके साथ हूं। इस मामले में हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को हस्तक्षेप करना चाहिए।

अभ्यर्थियों के समर्थन में धर्मतला पहुंचे कुणाल घोष ने पहले विरोध मार्च निकाला और फिर धरना देने बैठ गए। इस दौरान पुलिस ने प्रदर्शनकारी महिलाओं को हटाने की कोशिश की, जिससे कुणाल घोष और पुलिस के बीच तीखी बहस हो गई। हालांकि, प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड के बीच सड़क पर बैठकर अपना धरना जारी रखा।

गौरतलब है कि एसएलएसटी नियुक्ति प्रक्रिया सालों से विवादों में घिरी हुई है। राज्य सरकार नियुक्ति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की बात कहती रही है, लेकिन लगातार कानूनी अड़चनों के चलते हजारों अभ्यर्थी अब भी नौकरी से वंचित हैं। इस मुद्दे पर अब राजनीतिक दलों का हस्तक्षेप बढ़ता जा रहा है, जिससे आने वाले दिनों में यह विवाद और गहरा सकता है।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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धर्मतला में एसएलएसटी अभ्यर्थियों के धरने में शामिल हुए कुणाल घोष, हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से हस्तक्षेप की मांग

एसएलएसटी अभ्यर्थियों के धरने में शामिल हुए कुणाल घोष

कोलकाता, 28 फरवरी (Udaipur Kiran) । पश्चिम बंगाल में शिक्षक नियुक्ति को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। 2016 के एसएलएसटी (स्कूल सर्विस कमीशन) अभ्यर्थियों की नियुक्ति प्रक्रिया कानूनी उलझनों में फंसी हुई है, जिसके चलते शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस के नेता कुणाल घोष के नेतृत्व में धर्मतला में धरना दिया गया। अभ्यर्थियों का आरोप है कि मामले की सुनवाई लगातार लंबी खिंच रही है और उनकी नियुक्ति में देरी हो रही है। उन्होंने इस मुद्दे पर कलकत्ता हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के हस्तक्षेप की मांग की है।

शुक्रवार को हाई कोर्ट के आदेश के बाद 2009 के योग्य अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र जारी कर दिया गया, लेकिन 2016 के एसएलएसटी अभ्यर्थियों को अभी तक न्याय नहीं मिला। इससे नाराज अभ्यर्थियों ने धर्मतला में विरोध प्रदर्शन किया। उनका कहना है कि वे लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं, फिर भी उनकी मांगों को अनसुना किया जा रहा है।

विरोध प्रदर्शन के दौरान कई अभ्यर्थियों की आंखों में आंसू आ गए, जिसे देखकर कुणाल घोष खुद को रोक नहीं सके और आंदोलनकारियों के समर्थन में उतर आए। उन्होंने कहा कि अदालत में मामला वर्षों से लंबित है। विकास रंजन भट्टाचार्य जैसे कुछ वकील बार-बार केस दायर कर नियुक्ति प्रक्रिया को रोक रहे हैं, जबकि राज्य सरकार बार-बार कह रही है कि वह खाली पदों को भरना चाहती है। इतने सालों से युवा संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन अभी तक उनकी नियुक्ति नहीं हो सकी। वे मानसिक रूप से टूट चुके हैं और मैं इस अन्याय के खिलाफ उनके साथ हूं। इस मामले में हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को हस्तक्षेप करना चाहिए।

अभ्यर्थियों के समर्थन में धर्मतला पहुंचे कुणाल घोष ने पहले विरोध मार्च निकाला और फिर धरना देने बैठ गए। इस दौरान पुलिस ने प्रदर्शनकारी महिलाओं को हटाने की कोशिश की, जिससे कुणाल घोष और पुलिस के बीच तीखी बहस हो गई। हालांकि, प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड के बीच सड़क पर बैठकर अपना धरना जारी रखा।

गौरतलब है कि एसएलएसटी नियुक्ति प्रक्रिया सालों से विवादों में घिरी हुई है। राज्य सरकार नियुक्ति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की बात कहती रही है, लेकिन लगातार कानूनी अड़चनों के चलते हजारों अभ्यर्थी अब भी नौकरी से वंचित हैं। इस मुद्दे पर अब राजनीतिक दलों का हस्तक्षेप बढ़ता जा रहा है, जिससे आने वाले दिनों में यह विवाद और गहरा सकता है।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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