नाहन, 17 नवंबर (Udaipur Kiran) । चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के प्रसार शिक्षा निदेशालय ने नवंबर माह के दूसरे पखवाड़े (16 से 30 नवंबर) में कृषि और पशुपालन से संबंधित कार्यों के लिए एक विस्तृत मार्गदर्शिका जारी की है। यह मार्गदर्शिका प्रदेश के किसानों को बेहतर उत्पादन और फसलों की सुरक्षा में मदद करने के उद्देश्य से तैयार की गई है।
गेहूँ और जौ में बीज जनित बीमारियों का नियंत्रण
कृषि विशेषज्ञों ने गेहूँ और जौ की फसलों में बीज जनित बीमारियों के प्रभावी नियंत्रण के लिए सुझाव दिया है कि किसान बिजाई से पहले बीजों को वीटावैक्स या बैविस्टिन (2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज) से उपचारित करें। इससे बीज जनित बीमारियों का नियंत्रण सुनिश्चित होगा और फसलों में बेहतर वृद्धि होगी।
गेहूँ में दीमक के प्रकोप का नियंत्रण
गेहूँ की फसल में दीमक के प्रकोप की समस्या से बचने के लिए विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि यदि इस प्रकार की समस्या उत्पन्न हो तो खेत में शाम के समय 2 लीटर क्लोरोपाइरीफॉस 20 ई.सी. को 25 किलोग्राम रेत में अच्छी तरह मिलाकर बिजाई से पहले या बिजाई के दौरान भुरकाव करें। यह उपाय दीमक के नियंत्रण में प्रभावी साबित होगा।
गोभी प्रजाति की सब्जियों में कटुआ कीट से बचाव
गोभी और अन्य क्रूसिफेरस परिवार की सब्जियों को कटुआ कीट से बचाने के लिए नर्सरी की पौधों की रोपाई से पहले खेत में 2 लीटर क्लोरोपाइरीफॉस 20 ई.सी. को 25 किलोग्राम रेत में मिलाकर एक हेक्टेयर क्षेत्र में डालें। इसके अतिरिक्त, 2 मिलीलीटर की दर से क्लोरोपाइरीफॉस का घोल 1 लीटर पानी में तैयार कर नर्सरी में छिड़काव करने की सलाह दी गई है।
प्याज की नर्सरी में कमरतोड़ रोग का नियंत्रण
प्याज की नर्सरी में कमरतोड़ रोग के लक्षण दिखाई देने पर, 10 लीटर पानी में 10 ग्राम बैविस्टिन और 25 ग्राम डाईथेन एम-45 मिलाकर रोगग्रस्त क्यारियों की सिंचाई करें। यह उपचार रोग के फैलाव को रोकने और पौधों को स्वस्थ रखने में सहायक होगा।
मटर की फसल में रोगों का नियंत्रण
मटर की फसल में विभिन्न रोगों के प्रभावी नियंत्रण के लिए, बिजाई से पहले मटर के बीजों को बैविस्टिन (2.5 ग्राम/किलोग्राम बीज) से उपचारित करें। इससे मटर की फसल में होने वाली रोगों की समस्या को कम किया जा सकेगा।
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(Udaipur Kiran) / जितेंद्र ठाकुर