

‘साहित्या-एक बेबाक परिंदा’-हिंद की बेटी द्वारा अपनी मिट्टी को समर्पित एक अमूल्य भेंट‘पुरूषोत्तम काव्य शिरोमणि सम्मान 2025’ व ‘अतुल्य भारत पुरस्कार 2025’ से हो चुकी सम्मानितहिसार, 18 अप्रैल (राजेश्वर बैनीवाल)। जिले के आदमपुर तहसील के छोटे-से गांव चुली देशवाली की होनहार बेटी कोमल बैनीवाल ‘साहित्या’ ने मात्र 20 वर्ष की कम उम्र में ही सपनों की ऊंची उड़ान भरकर अपने गांव के साथ-साथ पूरे क्षेत्र का नाम रोशन किया है। कोमल बैनीवाल ने अल्पायु में ही शब्दों को जोड़ना आरंभ कर दिया था और आज साहित्य के क्षेत्र में सितारा बनकर उभरती हुई नजर आती है।छत्तीसगढ़ के वेदांत प्रकाशन द्वारा श्री पुखराज ‘प्राज’ के संपादन में प्रकाशित ‘साहित्या-एक बेबाक परिंदा’ कोमल की पहली एकल पुस्तक है, जिसका प्रमुख उद्देश्य समाज को एक नई सकारात्मक दिशा देना है। ये पुस्तक एक विशेष और अविस्मरणीय पहचान रखती है। ये बात इस पुस्तक को ओर खास बनाती है कि ये पूर्णतः काव्य रूप में लिखी गई है।कोमल ने इससे पहले अनेक श्रेष्ठ साझा संग्रह में अपनी लेखनी चलाई है। अपने इसी जुनून, दृढ़ संकल्प व मेहनत के चलते साहित्य क्षेत्र में काफी मान-सम्मान प्राप्त किया है कोमल ने। इन्हें ‘पुरूषोत्तम काव्य शिरोमणि सम्मान 2025’ व ‘अतुल्य भारत पुरस्कार 2025’ से सम्मानित किया जा चुका है।कोमल बताती है कि मेरे इस सफर में मेरे प्रियजनों व परिवार का विशेष योगदान रहा है। इनकी तीन पीढ़ियां लगातार देशसेवा में अपना महत्वपूर्ण योगदान देती आई हैं। कोमल चौथी पीढ़ी में आती है और अपने परिवार की राष्ट्रभक्ति की इस लहर को फीका नहीं पड़ने देना चाहती किसी भी हालत में। साहित्य के क्षेत्र में इतनी गहरी चेतना को देखते हुए इन्हें अपने शुभचिंतकों द्वारा प्रथम ‘साहित्या’ व द्वितीय ‘श्री सखी’ उपनाम दिया गया।कोमल बैनीवाल ‘साहित्या’ निरंतर राष्ट्रप्रेम, अन्नदाता के सम्मान, नारीवाद, जीवन के संघर्षों, भ्रष्टाचार के खिलाफ व भक्तिमय काव्य की अद्भुत छटा को अपनी कलम द्वारा बिखेरती हुई समाज में एकता भाइचारे की गूंजों को लिखती-गाती रही हैं। प्रबुद्धजनों व शुभचिंतकों ने उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की है।
(Udaipur Kiran) / राजेश्वर
