West Bengal

कोलकाता: पत्नी के मित्र और परिवार के हस्तक्षेप पर हाई कोर्ट ने पति को दिया तलाक

कोलकाता, 23 दिसंबर (Udaipur Kiran) । कलकत्ता हाई कोर्ट ने पति को मानसिक क्रूरता के आधार पर पत्नी से तलाक देने का फैसला सुनाया है। सोमवार को सुनाया गया यह फैसला पत्नी के मित्र और परिवार को पति पर ‘थोपने’ और पत्नी द्वारा दायर किए गए झूठे 498ए के मामले के आधार पर लिया गया। न्यायमूर्ति सब्यसाची भट्टाचार्य की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने निचली अदालत के तलाक देने से इनकार करने के फैसले को विकृत और त्रुटिपूर्ण करार देते हुए पलट दिया।

19 दिसंबर को सुनाए गए इस फैसले में हाई कोर्ट ने माना कि पत्नी के मित्र और परिवार का पति के कोलाघाट, पूर्व मेदिनीपुर स्थित सरकारी क्वार्टर में रहना, पति की इच्छाओं के विरुद्ध था। अदालत ने इसे पति पर थोपे गए हस्तक्षेप के रूप में देखा और इसे मानसिक क्रूरता करार दिया।

दांपत्य जीवन से दूरी बनी विवाद की मुख्य वजह अदालत ने यह भी पाया कि पत्नी ने लंबे समय तक पति के साथ दांपत्य जीवन से इनकार किया, जिससे दोनों के बीच लम्बा अलगाव हुआ। दंपति का विवाह 15 दिसंबर 2005 को हुआ था। पति ने 25 सितंबर 2008 को तलाक के लिए अदालत का रुख किया। इसके बाद पत्नी ने पति और उसके परिवार के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए के तहत मामला दर्ज कराया।

पति को झूठे आरोपों से किया गया बरीएक आपराधिक अदालत ने बाद में पति और उसके परिवार को इन आरोपों से बरी कर दिया। पति के वकील ने तर्क दिया कि यह झूठा मामला पति को प्रताड़ित करने और मानसिक क्रूरता का उदाहरण है। दूसरी ओर, पत्नी के वकील ने दावा किया कि पति क्रूरता साबित करने में असफल रहा। हालांकि, अदालत ने पाया कि मई 2008 से पत्नी कोलकाता के नारकेलडांगा में अपने सरकारी क्वार्टर में अलग रह रही थी। अदालत ने इसे जानबूझकर किया गया क्रूरता का कृत्य माना।

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झूठे आरोपों को अदालत ने बताया निराधार अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि शादी के दौरान पत्नी ने किसी प्रकार की शिकायत नहीं की। अलगाव के बाद लगाए गए आरोपों को अदालत ने बिना किसी साक्ष्य और तिथियों के विवरण के झूठे और निराधार बताया। अदालत ने इन आरोपों को तलाक के लिए पर्याप्त क्रूरता करार दिया।

हाई कोर्ट ने इस मामले में पत्नी के सभी आरोपों को खारिज करते हुए पति को तलाक की अनुमति दे दी। अदालत ने कहा कि पत्नी द्वारा लगाए गए खोखले और बेबुनियाद आरोप पति के साथ क्रूरता के समकक्ष हैं और तलाक का पर्याप्त आधार हैं।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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