लखनऊ, 03 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । लखनऊ के तेलीबाग मार्ग पर तीन परिवारों की रोजी रोटी मात्र बीस रुपये में सब्जियों के पौधे बेच कर चलती है। दूसराें का किचन गार्डन सजाने के लिए सब्जियों के विक्रेता परिवार के सदस्य सुबह ग्यारह बजे से छह बजे शाम तक सड़क किनारे अपने ग्राहक के आने का इंतजार करते हैं।
पौधे बेचने वाले परिवारों के सदस्य राजेश और पंकज ने बताया कि वे पहले सब्जियों का ठेला लगाया करते थे। सब्जियों को उगाने की आवश्कता देखते हुए वे पौधे लगाने लगे। बाद में उनके मन में पौधे ही बेचने की बात आ गयी। कुछ वर्षो से उनके परिवार के सदस्य लखनऊ में सब्जियों के पौधे बेचते हैं।
पंकज ने बताया कि पौधे बेचने से पहले उन्हें तैयार किया जाता है। इसके लिए मिट्टी की गुणवक्ता और बीज का प्रबंधन बेहद आवश्यक है। पौधे बेचने से पहले उसके जड़ को बांधा जाता है। जिससे पौधे को खरीदने वाला प्रकृति प्रेमी व्यक्ति अपने किचन गार्डन के गमलों में पौधों को बेहद आसानी से लगा सके।
उन्होंने बताया कि पौधों को गमलों के बाहर जमीन पर भी लगाया जा सकता है। वैसे पौधों को गमले में लगाने वालों की संख्या ज्यादा है। किचन गार्डन करने वाली महिलाएं बड़ी संख्या में उनके यहां पौधे खरीदने आती है। पौधों में बैगन, टमाटर, मिर्च, करेला, लौकी को गमलों में लगाकर महिलाएं घर पर ही उपयोग भर की सब्जी तैयार कर लेती है।
किचन गार्डन करने वाला राजकुमार पाण्डेय का परिवार रजनी खण्ड कालोनी में रहता है। राजकुमार पाण्डेय ने बताया कि वर्तमान समय में टमाटर और परवल उनके घर के गमलों और आगे के जमीन के हिस्से में उगे हुए है। उन्होंने मौसम के अनुसार सब्जियों के पौधे लगाये हैं, जिसमें पानी व खाद देने का कार्य उनके घर की गृहणी करती है।
उन्होंने बताया कि तेलीबाग मार्ग से ही उन्होंने सब्जियों के पौधे खरीदे थे। खाद पानी मिलने पर कुछ पौधों ने सब्जियों देनी शुरु कर दी है। वर्ष में आठ महीने उन्हें स्वस्थ्य सब्जी खाने को मिलती हैं। सब्जी की गुणवक्ता कहीं से कम नहीं है। पूरा परिवार घर में सब्जी उगाकर स्वस्थ्य भी है।
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(Udaipur Kiran) / श.चन्द्र