Madhya Pradesh

मप्र के उज्‍जैन जिले के बड़नगर तहसील का खेड़ावदा गांव बना स्वच्छ और आत्मनिर्भर गांव

खेड़ावदा गांव को स्वच्छ बनाने की पहल

भोपाल, 7 नवम्बर (Udaipur Kiran) । मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले के बड़नगर तहसील का खेड़ावदा गांव आज पूरे जिले के लिए एक मिसाल बन चुका है। यहां की ग्राम पंचायत ने गांव को स्वच्छ और आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक अनूठी पहल शुरू की हैं। स्वच्छता और साफ-सफाई के साथ अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं को जोड़कर, खेड़ावदा को एक संपूर्ण ‘ओडीएफ प्लस’ मॉडल ग्राम के रूप में विकसित किया गया है। उज्जैन जिले में 726 ओडीएफ प्लस मॉडल ग्राम है। ओडीएफ प्लस ग्राम की निरंतरता बनाए रखने के लिए ग्राम पंचायत में स्वच्छता के साथ अन्य घटकों को समाहित किया जा रहा है, जिससे एक स्वच्छ सुजल आत्मनिर्भर ग्राम निर्मित हो।

गांव में स्वच्छता का जन अभियान

जनसंपर्क अधिकारी सोनिया परिहार ने गुरुवार को बताया कि स्वच्छता को एक बार का काम मानने के बजाय, इसे ग्रामीणों की आदत में बदलने के लिए जन अभियान चलाया। इस अभियान के तहत, बच्चों की टोलियां और महिलाओं के समूह गांव के घर-घर जाकर कचरे के पृथक्करण (सूखा और गीला) की प्रक्रिया को समझाते है। लोगों को समझाया कि सूखे और गीले कचरे को अलग-अलग एकत्र करने से उनका निष्पादन आसानी से किया जा सकता है।

स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था

पंचायत ने मौसमी बीमारियों से बचाव के लिए स्वच्छ पेयजल का महत्व समझते हुए आर.ओ. प्लांट और पेयजल टंकी की व्यवस्था की। गांव का कोई भी व्यक्ति मात्र 6 रुपए देकर पूरे महीने स्वच्छ पानी ले सकता है। इससे न केवल गांव के लोगों के स्वास्थ्य में सुधार हुआ बल्कि पंचायत के प्रति उनका विश्वास भी बढ़ा।

शिक्षा में स्वच्छता का समावेश

ग्राम के विद्यालयों में स्मार्ट क्लास के माध्यम से बच्चों को पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन और स्वच्छता के प्रति जागरूक किया गया। शिक्षकों ने नियमित रूप से बच्चों को स्वच्छता के पाठ पढ़ाए, जिससे स्वच्छता का संदेश नई पीढ़ी में गहराई से उतरा।

कचरा प्रबंधन और रोजगार

ग्राम पंचायत ने बैंक से ऋण लेकर एक कचरा वाहन खरीदा और हर घर से कचरा एकत्रित करने की व्यवस्था की। एकत्रित कचरे को पृथक कर गीले कचरे से खाद तैयार की गई, जिसे गांव के किसान कृषि के लिए इस्तेमाल करते हैं। सूखे कचरे को कबाड़ में बेचकर सफाईकर्मियों के मानदेय की व्यवस्था की गई। गांव के हर घर में डस्टबिन रखने के लिए प्रेरित किया गया ताकि लोग कचरे को खुले में न फेंकें।

स्वच्छता के ढाँचे का निर्माण

ग्राम में सी.सी. रोड, सामुदायिक स्वच्छता परिसर और आर.सी.सी. नालियों का निर्माण किया गया, जिससे बारिश के पानी की निकासी आसानी से हो सके। नालियों के अंतिम सिरे पर सामुदायिक सोक पिट बनाए गए जिससे पानी जमा न हो और सड़कों पर न फैले।

सुरक्षा और सुंदरता का समावेश

गांव में सुरक्षा के लिए सभी चौराहों और शासकीय कार्यालयों में सी.सी.टीवी कैमरे लगाए गए हैं। विद्यालयों में भी सी.सी.टीवी, आर.ओ. वॉटर, और बालक-बालिकाओं के लिए अलग-अलग शौचालयों का निर्माण किया गया है। बच्चों को हाथ धुलाई और स्वच्छता की आदतों के प्रति जागरूक किया गया है।

कला के माध्यम से स्वच्छता का संदेश

गांव में कचरे से कलात्मक वस्तुएँ बनाकर गांव की सुंदरता को बढ़ाया गया। इससे गांव में स्वच्छता के साथ कलात्मकता और सौंदर्य का भी समावेश हुआ, जो अन्य पंचायतों के लिए एक प्रेरणा बन चुका है।

इंटरनेट में भी आत्मनिर्भर

डिजिटल इंडिया की ओर कदम बढ़ाते हुए, ग्राम पंचायत खेड़ावदा को पूर्ण रूप से वाईफाई जोन बनाकर इन्टरनेट से कनेक्ट किया गया है एवं सभी चौराहों व शासकीय कार्यालयों पर सी.सी.टी.वी. केमरे लगाये गये है।

खेड़ावदा आज एक आदर्श गांव का प्रतीक है। यह कहानी बताती है कि कैसे एक गांव अपने प्रयासों से स्वच्छ, सुजल और आत्मनिर्भर बन सकता है। खेड़ावदा की यह पहल अन्य गांवों के लिए एक मॉडल है और इसका ग्राम पंचायतों द्वारा भी अनुकरण किया जा रहा है।

(Udaipur Kiran) / उम्मेद सिंह रावत

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