नई दिल्ली, 23 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । राऊज एवेन्यू सेशंस कोर्ट की स्पेशल जज कावेरी बावेजा ने निवेशकों के साथ धोखाधड़ी के मामले में पूर्व विधायक रणबीर सिंह खर्ब और पत्नी अनीता को ट्रायल कोर्ट से मिली सात साल कैद की सजा को निरस्त कर दिया है। रणबीर सिंह खर्ब और पत्नी अनीता को बरी करने का आदेश दिया।
सुनवाई के दौरान आरोपितों की ओर से पेश वकील ने कहा कि 29 फरवरी को दिए आदेश में कोर्ट ने इस बात पर गौर किया था कि एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की कोर्ट के फैसले में भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी के तहत दोषी करार देने का जिक्र नहीं है, जबकि आरोपितों के खिलाफ धारा 120बी के तहत आरोप तय किये गए थे। स्पेशल जज ने 29 फरवरी को दोनों की सजा को निलंबित करके 25-25 हजार रुपये के निजी मुचलके और एक-एक जमानती के आधार पर रिहा करने का आदेश दिया था। सेशंस कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट का फैसला देने पर पाया कि इस मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी के तहत के आरोप पर कोई आदेश नहीं दिया गया है।
एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट प्रियंका राजपूत ने 26 फरवरी को रणबीर सिंह खर्ब और उनकी पत्नी अनीता को सात साल जेल की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने दोनों पर 44 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। कोर्ट ने 26 फरवरी को ही दोनों को हिरासत में लेने का आदेश दिया था। यह मामला ऊंचे रिटर्न का झांसा देकर निवेशकों से धोखाधड़ी से जुड़ा हुआ है। दोनों पर आरोप था कि एक चिटफंड कंपनी ज्योति फेयर फाइनेंस कंपनी के जरिये ऊंचे रिटर्न का झांसा देकर निवेशकों से करीब तीन करोड़ रुपये ठगे। मामले में पहली शिकायत एएस हुड्डा नामक निवेशक ने 30 सितंबर 2005 को की थी। शिकायतकर्ता ने 1998 से 2002 के बीच कंपनी में 95 लाख रुपये का निवेश किया था। जब शिकायतकर्ता ने कंपनी से रिटर्न मांगा तो उन्होंने देने से इनकार कर दिया।
हुड्डा की शिकायत के आधार पर रणबीर सिंह खरब और अनीता खरब समेत कंपनी के दूसरे निदेशकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। ज्योति फेयर फाइनेंस कंपनी का गठन 1998 में किया गया था। दिसंबर, 2003 में रणबीर खर्ब महाराष्ट्र से विधायक बनने के बाद निवेशकों को लगातार किसी न किसी बहाने से रिटर्न देने से इनकार करता रहा। बाद में वो निवेशकों को धमकाने भी लगा। निवेशकों को धमकी मिलने के बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की।
(Udaipur Kiran) /संजय
(Udaipur Kiran) / सुनीत निगम