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समाज को भीतर तक झकझोरती है कविता: रसबिंदु

jodhpur

जोधपुर, 29 मई (Udaipur Kiran) । साहित्य की सुदीर्घ परंपरा में नारी स्वर हमेशा से शक्ति, संवेदना और सृजन का पर्याय रहा है। इसी शृंखला में अंतरराष्ट्रीय श्रेया क्लब द्वारा आयोजित ऑनलाइन काव्य गोष्ठी ने स्त्री स्वर को नई ऊंचाई दी और साहित्यिक अभिव्यक्ति की नई दिशाएं खोली।

इस विशिष्ट आयोजन में भारत सहित विदेशों से 18 प्रतिभाशाली कवयित्रियों ने भाग लिया। इस अवसर पर विविध साहित्यिक विषयों पर स्वरचित कविताऐं प्रस्तुत की गईं। कहीं मातृत्व की ममता छलकी, कहीं नारी शोषण पर प्रहार किया गया, कहीं राष्ट्र के लिए समर्पण की पुकार सुनाई दी तो कहीं पर्यावरण संरक्षण की चेतना गूंजी।

गोष्ठी का संचालन राखी पुरोहित ने किया, जिन्होंने हर कवयित्री की प्रस्तुति को भावपूर्ण भूमिका के साथ जोड़ा, जिससे कार्यक्रम की प्रवाहमयी ऊर्जा बनी रही। संस्थापक डॉ. अर्चना श्रेया ने स्वागत उद्बोधन दिया।

मुख्य अतिथि प्रेमलता रसबिंदु (गोरखपुर) ने इस अवसर पर कहा कि कविता वह शक्ति है, जो समाज को भीतर से झकझोरती है। आज की स्त्रियां सिर्फ लिख नहीं रहीं, वे सामाजिक बदलाव की अग्रदूत बन रही हैं। विशेष अतिथि डॉ. प्रतिभा गर्ग (सिंगापुर) ने अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण से विचार साझा करते हुए कहा कि भाषा की सीमाएं मिट रही हैं। ऑनलाइन मंचों ने विश्वभर की स्त्रियों को एक साझा साहित्यिक मंच दिया है, जहां वे अपने अनुभव साझा कर रहीं हैं।

आलोचक की भूमिका में डॉ. आनंदीसिंह रावत ने हर कविता की साहित्यिक समीक्षा की। सांस्कृतिक प्रभारी तनुजा शुक्ला ने बताया कि गोष्ठी में डॉ. स्वर्णरेखा मिश्रा, शिखा पांडे, डॉ. संजीदा खानम, नेहा वाष्र्णेय, डॉ. अंबे कुमारी, डॉ. पुष्पा जैन, शालिनी श्रीवास्तव, नीरजा शर्मा, शोभारानी तिंवारी, अनिता श्रीवास्तव, संजू पाठक, डॉ. सुमन मेहरोत्रा, रेखा श्रीवास्तव सहित सभी कवयित्रियों ने अपने विशिष्ट स्वर में सामाजिक, भावनात्मक और वैचारिक विषयों पर कविताएं प्रस्तुत कीं, जिनमें एक ओर भारतीय लोकबिंब उभरे, तो दूसरी ओर आधुनिक यथार्थ के सशक्त चित्र भी रचे गए।

(Udaipur Kiran) / सतीश

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