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काशी-तमिल संगमम: काशी और कांची के बीच सहयोग को बढ़ावा देने पर बल

तमिल दल

—स्टार्टअप, नवाचार, एडटेक और शोध पर बीएचयू में साझा विमर्श

—बजट में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस उत्कृष्टता केंद्र की घोषणा का भी उल्लेख

वाराणसी, 24 फरवरी (Udaipur Kiran) । काशी-तमिल संगमम के तीसरे संस्करण में सोमवार को विशेषज्ञों ने काशी और कांची के बीच सहयोग को बढ़ावा देने पर जोर दिया। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के पं. ओंकार नाथ ठाकुर सभागार में आयोजित एक विशेष अकादमिक कार्यक्रम में स्टार्टअप, नवाचार, एडटेक और शोध जैसे विषयों पर दोनों पक्षों के विशेषज्ञों ने विमर्श किया।

कार्यक्रम में बीएचयू प्रबंध संस्थान की डॉ. दीपिका कौर ने शिक्षा क्षेत्र को मजबूत करने के लिए भारत सरकार के प्रयासों पर आधारित प्रस्तुति दी। उन्होंने बताया कि भारत 15 लाख से अधिक स्कूलों और उच्च शिक्षण संस्थानों के व्यापक नेटवर्क के साथ विश्व की सबसे बड़ी और विविध शैक्षिक व्यवस्थाओं में से एक है। हालांकि इस व्यापक बुनियादी ढांचे के बावजूद, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच शिक्षा की गुणवत्ता में असमानता एक महत्वपूर्ण चुनौती बनी हुई है। जिसे डिजिटल परिवर्तन के माध्यम से दूर किया जा सकता है। उन्होंने विभिन्न सरकार द्वारा की जा रही पहल के बारे में बताया, जो इस अंतर को पाटने और पूरे देश में सीखने के अवसरों को बढ़ाने के लिए डिजाइन की गई हैं। डॉ. कौर ने केंद्रीय बजट-2025 की महत्वपूर्ण घोषणाओं पर भी चर्चा की, जिसमें अगले पांच वर्षों में 50,000 अटल लैब्स की स्थापना, आईआईटी संस्थानों की क्षमता में विस्तार और उभरती तकनीकों के लिए डीपटेक फंड शामिल हैं।

बीएचयू प्रबंधन संस्थान के प्रो. राजकिरण ने अटल इनक्यूबेशन सेंटर (एआईसी) और महामना फाउंडेशन फॉर इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप की यात्रा को बताया। उन्होंने बीएचयू के संस्थापक पं. मदन मोहन मालवीय और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामाजिक उद्यमिता के प्रति योगदान की भी र्चचा की। केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय में अवर सचिव एसके बरनवाल ने शोध और नीति-निर्देशित शिक्षा सुधारों के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि भारत की शिक्षा प्रणाली वैश्विक प्रतिस्पर्धा के योग्य बनाने में सहायक साबित हो रही है। 50,000 करोड़ रुपये के आवंटन वाले राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन की स्थापना की जा रही है, जिसका उद्देश्य उच्च शिक्षा में अनुसंधान को बढ़ावा देना है। इस दौरान उन्होंने स्वास्थ्य, कृषि और सतत शहरों पर केंद्रित तीन उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना की घोषणा की। कहा कि बजट 2025 में शिक्षा के क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस उत्कृष्टता केंद्र की घोषणा की गई हैा, जो एआई-संचालित लर्निंग समाधानों को बढ़ावा देगा। कार्यक्रम के दौरान शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों ने भी महत्वपूर्ण प्रस्तुतियाँ दीं।

अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान के डॉ. पन्नीर सेल्वम पेरुमैयन ने आईसीएआरसी में विकसित अत्याधुनिक सुविधाओं के बारे में बताने के साथ-साथ कृषि अनुसंधान में हुई प्रगति पर भी अपनी बात रखी। भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. धनंजय सिंह ने भारत को दुनिया में सब्जियों के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक देश के रूप में रेखांकित किया और कृषि अर्थव्यवस्था में सब्जी उत्पादन की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। बीएचयू भौतिकी विभाग के शोधार्थी कैलाश वर्मा ने अंतरिक्ष मिशनों में इलेक्ट्रॉन प्रभाव के तहत अंतरिक्ष यान की सतह सामग्री पर किए गए प्रयोगों पर चर्चा की। आईआईटी बीएचयू के सिरेमिक इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रीतम सिंह ने जल-आधारित बैटरियों, हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था और वैकल्पिक ऊर्जा तकनीकों पर अपने शोध निष्कर्ष प्रस्तुत किए। इसके बाद श्रोताओं के साथ संवाद सत्र आयोजित किया गया, जिसमें राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान, इंजीनियरों के लिए रोजगार के अवसर और नई सब्जी किस्मों के विकास जैसे विषयों पर चर्चा हुई। कार्यक्रम का संचालन आईआईटी, बीएचयू, की डॉ. गौरी बालाचंदर और प्रो. शन्मुग सुंदरम ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

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