Madhya Pradesh

मप्र में करवा चौथ की धूम, पति की लंबी उम्र के लिए रखा व्रत, चंद्र दर्शन कर खोला

पति की लंबी उम्र के लिए रखा व्रत, चंद्र दर्शन

भोपाल, 20 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर रविवार को देश के साथ मध्य प्रदेश में भी करवा चौथ का पर्व आस्था, उत्साह और श्रद्धा के मनाया गया। इस अवसर पर सुहागिन महिलाओं ने पति की लंबी उम्र के लिए दिनभर व्रत रखा और शाम को चांद दिखने पर करवा चौथ पूजा की। इसके बाद पति के हाथों से पानी पीकर व्रत खोला। महिलाओं ने सज-धज कर इस पर्व को श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया। कई जगहों पर भजन-कीर्तन का आयोजन किया गया तो कहीं सामूहिक रूप से नाच-गाकर सेलिब्रेट किया।

करवा चौथ पर सुहागिन महिलाओं ने पति की दीर्घायु और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए सुबह से देर शाम निर्जला व्रत रखा। हाथों में मेहंदी रचाई और नए कपड़े-आभूषण से श्रृंगार कर शाम को चंद्रोदय के पूर्व भगवान श्रीकृष्ण, विघ्न विनाशक प्रथम पूज्य भगवान गणेश और जगद्जननी माता पार्वती की पूजा अर्चना कर आरती उतार कर कथा सुनी। इसके बाद चांद निकलने का इंतजार किया गया। बेसब्री से इंतजार के बाद जैसे ही आसमान पर चांद खिला तो व्रतधारी महिलाओं ने चंद्र देव के दर्शन किए। अपने पति देव को तिलक लगा कर आशीर्वाद लिया। व्रतधारी महिलाओं ने पति के हाथ से पानी-जूस आदि पीकर अपना व्रत खोला और फिर सभी ने मिल कर त्यौहार की खुशियां मनाईं। इस दौरान होटलों- रेस्टोरेंट में खासी भीड़ देखी गई। करवा चौथ का व्रत खोलने के बाद अधिकांश पति-पत्नी खाना खाने के लिए होटलों में पहुंचे तो कइयों ने घर में परिवार के साथ भोजन किया।

दरअसल, करवा चौथ पर गणेश जी के साथ ही चौथ माता और चंद्र देव की पूजा की जाती है। रात में चंद्र उदय के बाद चंद्र को अर्घ्य दिया जाता है। चंद्र दर्शन और पूजन के बाद ही महिलाएं खाना-पानी ग्रहण करती हैं। इस व्रत में करवा चौथ माता की कथा पढ़ने और सुनने की परंपरा है। इसके बिना ये व्रत पूरा नहीं माना जाता है। मप्र के शहरों में कई स्थानों पर करवा चौथ की पूजा के लिए सामूहिक व्यवस्था की गई थी। महिलाएं तय समय पर खूबसूरत ढंग से सजाई गई थालियों में पूजन सामग्री लेकर पहुंची और फिर सभी ने साथ बैठकर पूजन किया।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने धर्मपत्नी सीमा यादव के साथ उज्जैन स्थित निज निवास पर करवा चौथ का पर्व मनाया। करवा चौथ के पावन पर्व पर मुख्यमंत्री डॉ. यादव की धर्मपत्नी सीमा यादव ने चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर पूजा की और पति डॉ. यादव के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने पत्नी सीमा को जल ग्रहण करवाकर व्रत खुलवाया। इसके पूर्व यादव दंपति ने विधि-विधान से करवा माता पूजा की। इस अवसर पर करवा माता की कथा भी हुई।

करवा चौथ की कथा

ये पौराणिक कहानी वेद शर्मा नाम के एक ब्राह्मण की पुत्री वीरावती से जुड़ी है। वेद शर्मा इंद्रप्रस्थ नगर में रहता था। लीलावती उसकी पत्नी थी। वेद शर्मा और लीलावती के सात पुत्र और एक पुत्री थी। पुत्री का नाम वीरावती था। वीरावती बड़ी हुई तो सातों भाइयों ने उसका विवाह करवा दिया। शादी के बाद कार्तिक कृष्ण चतुर्थी पर वीरावती अपने भाइयों से मिलने उनके घर आई थी। उस दिन वीरावती की सभी भाभियां करवा चौथ का व्रत कर रही थीं, उनके साथ ही वीरावती ने भी ये व्रत कर लिया। वीरावती भूख-प्यास सहन नहीं कर पा रही थी, इस वजह से चंद्र उदय पहले ही बेहोश हो गई। बहन को बेहोश देखकर सातों भाई परेशान हो गए।

सभी भाइयों ने तय किया कि किसी तरह बहन को खाना खिलाना चाहिए। उन्होंने सोच-विचार करके एक पेड़ के पीछे से मशाल जलाकर रोशनी कर दी। बहन को होश में लाकर कहा कि चंद्र उदय हो गया है। वीरावती ने भाइयों की बात मानकर विधि-विधान से मशाल के उजाले को ही अर्घ्य दे दिया और इसके बाद भोजन कर लिया। अगले दिन वीरावती अपने ससुराल लौट आई। कुछ समय बाद ही उसके पति की मृत्यु हो गई। पति की मृत्यु के बाद वीरावती ने अन्न-जल का त्याग कर दिया। उसी दिन इंद्राणी पृथ्वी पर आई थीं। वीरावती ने इंद्राणी को देखा तो उनसे अपने दुख की वजह पूछी।

इंद्राणी ने वीरावती को बताया कि तुमने पिता के घर पर करवा चौथ का व्रत सही तरीके से नहीं किया था, उस रात चंद्र उदय होने से पहले ही तुमने अर्घ्य देकर भोजन कर लिया, इस वजह से तुम्हारे पति की मृत्यु हुई है। इंद्राणी ने आगे कहा कि अगर तुम अपने पति को फिर से जीवित करना चाहती हो तो तुम्हें विधि-विधान से करवा चौथ का व्रत करना होगा। मैं उस व्रत के पुण्य से तुम्हारे पति को जीवित कर दूंगी। वीरावती ने पूरे साल की सभी चतुर्थियों का व्रत किया और जब करवा चौथ आई तो ये व्रत भी पूरे विधि-विधान से किया। इससे प्रसन्न होकर इंद्राणी ने उसके पति को जीवनदान दे दिया। इसके बाद उनका वैवाहिक जीवन सुखी हो गया। वीरावती के पति को लंबी आयु, अच्छी सेहत और सौभाग्य मिला।

(Udaipur Kiran) तोमर

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