Jammu & Kashmir

जम्मू में कार्तिक दिवा एवं रात्रि पूर्णिमा व्रत 15 नवंबर को मनाया जायेगा

Rohit

जम्मू, 13 नवंबर (Udaipur Kiran) । कार्तिक पूर्णिमा के विषय में श्रीकैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ने बताया कि इस वर्ष सन् 2024 ई. को कार्तिक पूर्णिमा तिथि 15 नवंबर शुक्रवार सुबह 06 बजकर 20 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 16 नवंबर शनिवार तड़के सुबह 2 बजकर 59 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदयातिथि के आधार पर कार्तिक दिवा एवं रात्रि पूर्णिमा व्रत 15 नवंबर शुक्रवार को ही होगा।

महंत रोहित शास्त्री ने बताया कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान शिव ने त्रिपुर राक्षस का वध किया था, त्रिपुर ने एक लाख वर्ष तक प्रयाग में भारी तपस्या कर ब्रह्मा जी से मनुष्य और देवताओं के हाथों ना मारे जाने का वरदान हासिल किया था, इसके बाद भगवान शिव ने ही उसका वध कर संसार को उससे मुक्ति दिलाई थी,इस दिन उपवास करने से हजार अश्वमेध और सौ राजसूय यज्ञ के बराबर का फल प्राप्त होता है और कार्तिक पूर्णिमा की रात को बछड़ा दान करने से शिव लोक की प्राप्ति होती है। जब चंद्रोदय हो रहा हो, तो उस समय शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा इन छ: कृतिकाओं का पूजन करने से शिव जी का आशीर्वाद मिलता है क्योंकि ये स्वामी कार्तिक की माता है।

कार्तिक महीना बहुत ही पवित्र माना जाता है, विशेषकर कार्तिक पूर्णिमा का दिन बेहद शुभ माना जाता है इस दिन स्नान और दान का बड़ा महत्व है,इस दिन गंगा नदी,नदी,सरोवर आदि में स्नान करने से सभी जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है इस दिन श्रद्धालु स्नान कर दीप, दान,हवन,यज्ञ, घी, वस्त्र, ब्राह्मण भोजन, तेल,तिल दक्षिणा दान करते हैं।

इस विशेष दिवस पर विधि-विधान से पूजा अर्चना करना ना केवल पवित्र माना जाता है बल्कि इससे समृद्धि भी आती है और इससे सभी कष्ट दूर हो सकते हैं,इस दिन पूजा करने से श्रीलक्ष्मीनारायण,भगवान शिव और शनि देव की कृपा प्राप्त होती हैं।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन सिखों के श्रीगुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था, अतः इसलिए इस दिन श्रीगुरू नानक देव जयंती भी मनाई जाती है,कार्तिक पूर्णिमा के दिन उत्तरी भारत का सबसे बड़ा मेला बावा जित्तो देव स्थान झिड़ी सामाचक में लगता है, जम्मू में अधितिकर कुल देव और देवी स्थानों पर मेले लगते है। पूर्णिमा के दिन घर के आस पास ज़रूरत मंद लोगों यथा शक्ति दान अवश्य करें।

पौराणिक कथा के अनुसार, देवता अपनी दिवाली कार्तिक पूर्णिमा की रात को ही मनाते हैं। वहीं भीष्म पंचक 15 नवंबर शुक्रवार को ही समाप्त होंगे।

(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा

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