जूना अखाड़े के कोठारी महाकाल गिरी व अन्य संतों ने कांवड़ यात्रियों का किया स्वागत
हरिद्वार, 25 जुलाई (Udaipur Kiran) । शिवशक्ति धाम डासना के पीठाधीश्वर व श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज के प्रतिनिधि के रूप में पूर्व मिसेज इंडिया वर्ल्ड वाइड डॉ उदिता त्यागी और यति संन्यासी यति सत्यदेवानंद व यति रणसिंहानंद ने अन्य भक्तों के साथ माया देवी मंदिर जूना अखाड़े के आनंद भैरव घाट से कांवड़ उठाई। उन्होंने यह कांवड़ विश्व धर्म संसद की सफलता, हिंदुओं के परिवारों में वृद्धि व मजबूती और जातिवाद व जातीय वैमनस्यता के समूल विनाश के लिए उठाई है। इसके लिए इन कांवड़ यात्रियों ने आनंद भैरव घाट पर विधिवत पूजा अर्चना की। उनकी पूजा पंडित पवनकृष्ण शास्त्री ने संपन्न करवाई।
इससे पूर्व चंडी चौक पर शिवशक्ति धाम डासना में स्थापित होने वाले शिव परिवार को गंगा जल में स्नान करवाकर इन सभी ने सनातन धर्म के शत्रुओ के समूल विनाश की कामना की।
इस अवसर पर महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी भी उपस्थित रहे और उन्होंने उनके संकल्प के लिए कांवड़ उठाने वाले अपने सभी शिष्यों को हृदय की गहराई से आशीर्वाद और साधुवाद दिया। श्रीअखंड परशुराम अखाड़े के अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक ने इन कांवड़ यात्रियों का सम्मान करते हुए कहा कि उनके जीवन में यह पहली कांवड़ है जो इस महान उद्देश्य के लिए उठाई जा रही है।
महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी ने कहा कि आज जिस तरह इस्लामिक जिहाद से सम्पूर्ण मानवता को खतरा है, ऐसे में विश्व धर्म संसद सम्पूर्ण मानवता की रक्षा के लिए एक अति महत्वपूर्ण पहल सिद्ध हो सकती है। परंतु इसके लिए सनातन धर्मगुरुओं के समाज सहित सम्पूर्ण हिंदू समाज को अपनी मानसिकता में थोड़ा परिवर्तन करके इसका समर्थन और सहयोग करना पड़ेगा।
मुख्य संयोजक डॉ उदिता त्यागी ने कहा कि आज सनातन धर्म और सम्पूर्ण मानवता अपने अस्तित्व के खतरे में है। हिंदुओं के घटते हुए जनसंख्या अनुपात ने हमारे सामने समूल विनाश के खतरे को लाकर खड़ा कर दिया है। हिंदू समाज के सबसे बड़े शत्रु जातिवाद और जातीय वैमनस्यता ने हमें बर्बादी के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है। ऐसे में वर्तमान समय में सबसे महत्वपूर्ण यही है कि भगवान महादेव और जगतजननी मां जगदम्बा सनातन धर्म और सम्पूर्ण मानवता की रक्षा के लिए हम हिंदुओं को सद्बुद्धि प्रदान करें।
(Udaipur Kiran)
(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला / वीरेन्द्र सिंह