Bihar

कलाजत्था की टीम नुक्कड़ नाटक से सर्पदंश से बचाव की दे रही नसीहत

मधुबनी, 10 सितंबर (Udaipur Kiran) ।सर्पदंश सहित विभिन्न आपदाओं से बचाव को लेकर गीत-संगीत के माध्यम से कलाजत्था की टीम मंगलवार से लोगों को जागरूक करना प्रारम्भ की है।जिला प्रशासन द्वारा मंगलवार को जिला के विभिन्न इलाका में कलाजत्था टीम भेजा गया।बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रतिवर्ष सर्पदंश के दस लाख से अधिक मामले आते हैं। औसतन अस्सी हजार के आसपास लोग जागरूकता के अभाव में अपनी जान गंवा देते हैं।

सर्पदंश की घटना को कम करने के लिए रात को सोते समय मच्छरदानी लगाने, सर्पदंश के उपरांत सर्वप्रथम सांप की पहचान कर लेने व शीघ्र ही निकटतम स्वास्थ्य केंद्र पहुंचने की सलाह के साथ झाड़ फूंक के चक्करों से बचने की नसीहत दी गई।कलाजत्था की सुन्दर विश्लेषणात्मक जागरूकता प्रस्तुति के दौरान लोगों की भीड़ जमा होने की खबर है नुक्कड़ नाटकों को देखने के साथ मोबाइल में भी सुदूर ग्रामीण क्षेत्र के लोग रिकार्ड करते देखा गया।डीएम अरविन्द कुमार वर्मा के निर्देश पर सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की सूचीबद्ध कलाजत्था टीम के द्वारा मंगलवार को को जिले के पंडौल, दहिवत माधोपुर, बिथौनी, विस्फी, मधवापुर, बासुकी बिहारी, महिसवारा बेला, घोंघौर पश्चिमी, लौकही, लखनौर, गेहूमाबैरिया, सैनी आदि पंचायत में सर्पदंश से बचाव से संबंधित नुक्कड़ नाटक की प्रस्तुति दी गई।

सूचना एवं जनसंपर्क तथा आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा उपलब्ध स्क्रिप्ट के आलोक में हुई प्रस्तुति के दौरान सर्पदंश की घटना एवं उसके प्रभाव को कम करने के लिए जन सामान्य को स्थानीय भाषा मैथिली में ‘क्या करें’ व ‘क्या न करें’ के बारे में जागरूक किया गया। नुक्कड़ टीम ने प्रस्तुति के दौरान बताया कि सर्वप्रथम तो सर्पदंश से बचने का प्रयास करें। भारत में सर्पदंश का सर्वाधिक मामला करैत सांप के काटने से होता है। यह सांप अंधेरे में घर में घुसकर भी काटता है। इसलिए सोते समय हमेशा मच्छरदानी का उपयोग करें। अंधेरे में कभी खाली पैर न निकलें। बहुत दिनों से बंद पड़े कमरे को खोलने व पुराने रखे कबाड़ में हाथ लगाने से पहले सावधानी बरतें।

बरसात के मौसम में जूते या हेलमेट आदि पहनने से उसको अच्छे से जांच लें।सर्पदंश की घटना होने पर काटे हुए जगह को साबुन से धोएं। दांत के निशान की जांच करें। कटे हुए स्थान को स्थिर करें।पीड़ित व्यक्ति को चलने फिरने न दें। घाव के ऊपर बैंडेज बांधे। पीड़ित का धैर्य बंधाएं, घबराहट से बचने को कहें।सांप की पहचान कर शीघ्र नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में पहुंचे।झाड़ फूंक के चक्करों से बचें।

बताया कि डीएम के निर्देशानुसार जिला सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में सूचीबद्ध छह नुक्कड़ टीम जिले के विभिन्न पंचायतों की जनता को सड़क दुर्घटना, बाढ़, सर्पदंश तथा वज्रपात से संबंधित घटनाओं के बारे में अपने नुक्कड़ नाटक के माध्यम से जागरूक कर रही है।सूचना जनसंपर्क उप निदेशक परिमल कुमार ने बताया कि सभी छह टीमों द्वारा प्रतिदिन दो निर्धारित स्थानों पर नुक्कड़ नाटक का प्रदर्शन किया जाएगा। प्रस्तुति की मॉनिटरिंग हेतु ट्रेनी जिला जनसंपर्क पदाधिकारी अमन कुमार आकाश की अध्यक्षता में एक टीम गठित की गई है।

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(Udaipur Kiran) / लम्बोदर झा

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