

कैथल, 24 मार्च (Udaipur Kiran) । स्थानीय प्रयास नाटय मंच की ओर से आज शहीदी दिवस के उपलक्ष में स्थानीय संत निरंकारी सत्संग भवन में रब राखा नाटक के माध्यम से विभाजन विभीषिका के दृश्यों को जीवंत करने का सशक्त प्रयास किया गया। इस कड़ी में डॉक्टर महिपाल पठानिया द्वारा निर्देशित नाटक रब राखा के विभिन्न दृश्यों ने दर्शकों की आंखें नम कर दी।
विभाजन के समय अपने वतन को निकलने के लिए तैयार एक परिवार के सामने जब मां को वहीं पर छोड़ जाने की बात आई तो परिवार के सदस्य बिलख बिलख कर रोते हुए इस बात पर सहमत नहीं हो सके कि मां को छोड़ा जाए। मगर परिस्थितियों के कारण मां को छोडऩा आवश्यक लगा तो वे सभी जब सुबह चार बजे निकलने वाले थे तो मां सबके लिए रोटियां लेकर आई और उनका यह वाक्य सबकी आंखों को नम कर गया कि बेटा, मुझे चाहे यहीं छोड़ जाओ मगर रास्ते में तुम्हें भूख लगेगी तो यह रोटियां जरुर खा लेना। गौरतलब है कि डॉक्टर महिपाल पठानिया के सानिध्य में निरंतर पिछले 15 वर्ष से प्रयास नाटय मंच थिएटर की अलख को जगाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने अपनी टीम के माध्यम से पूरे पंजाब, हरियाणा एवं विभिन्न राज्यों में कई प्रसिद्ध नाटक जैसे *मीरा, आंखे, बंदा बहादुर, गगन दमामा बाजयो और रब राखा* के सैकड़ो मंचन करके इस दिशा में ख्याति अर्जित की है।
इस अवसर पर हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा बाबू बालमुकुंद गुप्त साहित्यसम्मान से सम्मानित सुप्रसिद्ध लेखक एवं शिक्षाविद डॉक्टर प्रद्युम्न भल्ला, मोहित वधवा, निरंकारी सत्संग भवन, कैथल शाखा के संयोजक राजेंद्र जुनेजा के साथ खचाखच भरे हाल में सैकड़ों दर्शकों ने उनकी टीम का गर्मजोशी से स्वागत किया और उनकी प्रतिभा की मुक्त कंठ से सराहना की। इस अवसर पर डॉक्टर प्रद्युम्न भल्ला ने प्रयास नाटय मंच का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रतिभा परिचय की या उम्र की मोहताज नहीं होती। वह तो जुनून की आग लिए निरंतर कुछ नया करने को तत्पर रहती है। उन्होंने कहा कि आगे भी महिपाल पठानिया द्वारा निर्देशित नाटकों के मंचन होते रहेंगे ताकि नए-नए कलाकारों को ढूंढ कर, उनकी प्रतिभा को समाज के सामने लाया जा सके। डॉक्टर महिपाल पठानिया ने भी सभी का आभार व्यक्त किया। डॉक्टर महिपाल पठानिया एवं उनकी पूरी टीम को मंच से सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम का संचालन मोहित वधवा ने किया
(Udaipur Kiran) / मनोज वर्मा
