हुगली, 05 दिसंबर (Udaipur Kiran) । गत बुधवार को ही उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल भाजपा नेता कबीर शंकर बोस के खिलाफ दर्ज एफआईआर को सीबीआई के हवाले करने का निर्देश दिया था। उच्चतम न्यायालय के इस फैसले को कबीर शंकर बोस अपने हक में बता रहे थे। हालांकि गुरुवार को श्रीरामपुर कांग्रेस नेतृत्व की ओर से यह स्पष्ट कर दिया गया कि चाहे कोई भी जांच हो कबीर शंकर बोस ने अपराध किया है और उन्हें जेल जाना होगा।
नाम न छापने की शर्त पर श्रीरामपुर शहर तृणमूल कांग्रेस के एक कद्दावर नेता ने (Udaipur Kiran) को बताया हम भी चाहते हैं कि मामले की जांच हो। सीबीआई जांच करे या कोई और जांच करे कबीर शंकर बोस को अपने अपराधों की सजा भुगतनी होगी।
कबीर शंकर बोस के खिलाफ दर्ज एफआईआर को उच्चतम न्यायालय द्वारा सीबीआई को सौंपे जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए श्रीरामपुर के सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि दिसंबर 2020 में श्रीरामपुर में सड़क का काम हो रहा था, इसी में कबीर शंकर बोस की गाड़ी रुक गई। इसके बाद कबीर शंकर बोस और उनकी सुरक्षा में तैनात सीआईएसफ के जवानों ने वहां मौजूद लोगों के साथ मारपीट की थी। इस घटना में पांच युवकों का हाथ टूट गया था। पीड़ित लोगों ने ही कबीर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी। कबीर ने उच्चतम न्यायालय से आवेदन किया था कि उनके खिलाफ दर्ज मामलों को रद्द कर दिया जाए। लेकिन न्यायालय ने मामले को सीबीआई के हवाले कर दिया। सीबीआई को मामले की ठीक से जांच करनी होगी। हमारे पास जो सबूत हैं, उन्हें भी देखना होगा।
उल्लेखनीय है कि छह दिसंबर, 2020 को तृणमूल कांग्रेस की ओर से श्रीरामपुर थाने में भाजपा नेता कबीर शंकर बोस व अन्य भाजपा नेताओं के खिलाफ तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट और महिलाओं के साथ बदसलूकी का आरोप लगाते हुए दो एफआईआर दर्ज करवाया गया था। इसके बाद कबीर शंकर बोस ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि उनके पूर्व ससुर और श्रीरामपुर के तत्कालीन सासंद कल्याण बनर्जी ने व्यक्तिगत दुश्मनी निकालने के लिए उनका नाम मामले में डलवा दिया था। गत 13 जनवरी, 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने बोस के खिलाफ दो आपराधिक मामलों में कार्यवाही पर रोक लगा दी थी, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल द्वारा सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद बोस की मूवमेंट लॉग बुक की एक प्रति भी सीलबंद लिफाफे में रखी गई थी।
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(Udaipur Kiran) / धनंजय पाण्डेय