– ज्योति कलश यात्रा सम्मेलन में अद्भुत दिव्यता और आध्यात्मिक सौभाग्य
हरिद्वार, 31 दिसंबर (Udaipur Kiran) । शांतिकुंज में चल रहे तीन दिवसीय ज्योति कलश यात्रा सम्मेलन का मंगलवार को समापन हो गया। समापन सभा को केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री दुर्गादास उइके व प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पण्ड्या ने दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ किया। वहीं केन्द्रीय मंत्री व प्रतिकुलपति ने मप्र के लिए पांच दिव्य कलश का वैदिक मंत्रोच्चार के बीच रवाना किया।
इस अवसर पर समापन सत्र के मुख्य अतिथि केन्द्रीय मंत्री उइके ने कहा कि अगर हम अपनी अगली पीढ़ी को अपने आदर्शों और मूल्यों को हस्तांतरित नहीं कर पाए, तो यह हमारी असफलता होगी। उन्होंने कहा कि परिवार और समाज के बीच एक संतुलन आवश्यक है। अगर हम अपने परिवार पर ध्यान नहीं देंगे, तो हम समाज को कैसे दिशा देंगे। श्री उइके ने कहा कि हमें अपनी पीढि़यों को सही मार्गदर्शन देने के लिए खुद को और समाज को आत्म विश्लेषण की आवश्यकता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पण्ड्या ने गायत्री परिवार के संस्थापक गुरुदेव और माताजी की तपस्वी साधना को नमन करते हुए कहा कि हम सौभाग्यशाली हैं कि इस धरा पर गुरुदेव-माताजी जैसे दिव्य व्यक्तित्व ने जन्म लिया। उनका जीवन हम सभी के लिए मार्गदर्शक है। उन्होंने कहा कि हममें से हर व्यक्ति को यह समझना चाहिए कि गुरुदेव-माताजी के दिव्य ज्ञान ने साधारण को असाधारण बनाया है। हमारे जीवन की हर सफलता, हर उन्नति उनके आशीर्वाद का प्रतिफल है। जो साधारण को असाधारण बनाने का काम गुरुदेव ने किया, वही आज हमें भी करना है।
गायत्री परिवार की संस्थापिका माता भगवती देवी शर्मा और दिव्य अखंड ज्योति शताब्दी समारोह के पावन अवसर पर मध्यप्रदेश के लिए ज्योति कलश यात्रा सम्मेलन का भव्य आयोजन देव संस्कृति विश्वविद्यालय के मृत्युंजय सभागार में संपन्न हुआ।
(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला