Bihar

किसानों – मजदूरों के शोषण मुक्ति आंदोलन के महान पुरोधा थे ज्वाला बाबू : चन्दन सिंह

समारो में पूर्व सांसद

नवादा, 18 दिसम्बर (Udaipur Kiran) । आजादी की लड़ाई में अपने जमाने के प्रखर व नवयुवकों को एक सूत्र में बांधकर चिनगारी फैलाने वाले स्वतंत्रता सेनानी ज्वाला प्रसाद सिंह की 44 वीं पूण्यतिथि बुधवार को समारोह पूर्वक मनाई गयी।

ज्वाला बाबू की प्रतिमा पर उपस्थित लोगों ने श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित नवादा के पूर्व सांसद चंदन सिंह ने कहा कि ज्वाला बाबू स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी सेनानी थे उन्होंने किसान मजदूर के शोषण मुक्ति आंदोलन में भी माहिती भूमिका निभाई थी जिसके लिए समाज उन्हें सदा याद करते रहेगा।

उन्होंने कहा कि आज ज्वाला बाबू जैसे नेता की समझ में बहुत जरूरत है ताकि शोषण मुक्त समाज की स्थापना हो सके । चंदन सिंह को ग्रामीणों ने स्वागत करते हुए उन्हें बेहतर सांसद बताया। उन्होंने कहा कि चंदन सिंह ने सांसद रहते या सांसद नहीं रहने के बाद भी जो दुख सुख में नवादा वासियों को हर समय साथ निभाया पैसा दूसरा कोई नेता नहीं हो सकता है। नगर परिषद के अध्यक्ष रेखा देवी ने अपने संबोधन में कहा कि स्वतंत्रता सेनानी ज्वाला बाबू के नाम से ही उनके कृत्यों को जाना जा सकता है। किसानों और मजदूरों को शोषण से मुक्ति दिलाने की लड़ाई में ज्वाला बाबू ने अह्म योगदान दिया थ।

उन्होंने कहा कि ज्वाला नाम की तरह ही ज्वाला बाबू ने दमनकारी अंग्रेजों के खिलाफ जो चिनगारी सुलगाई, वह ज्वालामुखी बनकर आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। मौके पर मौजूद काशीचक के पूर्व जिला पार्षद अखिलेश सिंह ने कहा कि ग्रामीण होने के नाते मुझे ज्वाला बाबू के कार्यों पर हर दिन गर्व महसूस होता है। बचपन से ही अंग्रेजों के साथ लड़ने की कहानी बुजुर्गों से सुना करता था।

उन्होंने कहा कि यह कम नहीं है कि उस अंग्रेज में भी दमनकारी नीति और शोषण से त्रस्त लोग उसके खिलाफ बोलने से भी परहेज करते थे.वैसी स्थिति में भी उसके खिलाफ लोगों को एकजुट कर विरोध करना सच में बहादुरी से भरा कार्य था। मुझे फक्र है कि ज्वाला बाबू की मिट्टी में मैं भी पला-बढ़ा हूं।

अपसढ़ पंचायत के मुखिया सह जेपीएस आइटीआइ के निदेशक व ज्वाला बाबू के पुत्र राजकुमार सिंह ने मौके पर कहा कि पिताजी के संस्कार का ही परिणाम है कि मुझे भी सामाजिक कार्यों व लोगों का सहयोग करने में एक आत्मीय लगाव जैसा महसूस होता है। सिंंह ने अपने संबोधन में उनके साथ बिताए गए कुछ पलों की चर्चा की।

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(Udaipur Kiran) / संजय कुमार सुमन

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