कोलकाता, 14 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । सोमवार को जूनियर डॉक्टरों ने राज्यपाल सीवी आनंद बोस से मुलाकात के लिए राजभवन की ओर रुख किया, लेकिन उनकी अपेक्षाएं पूरी नहीं हो पाईं। डॉक्टरों ने बताया कि उन्हें केवल स्मारक पत्र सौंपने का अवसर मिला, राज्यपाल से विस्तृत बातचीत नहीं हो सकी।
जूनियर डॉक्टरों के प्रतिनिधि देवाशीष हालदार ने कहा, “हम 12 प्रतिनिधियों के साथ राजभवन गए थे। पहले बताया गया कि राज्यपाल आराम कर रहे हैं। बाद में केवल पांच डॉक्टरों को अंदर जाकर स्मारक पत्र सौंपने की अनुमति मिली। हालांकि, राज्यपाल से ज्यादा बातचीत नहीं हो पाई और किसी ठोस आश्वासन की भी बात नहीं हुई। अनशन खत्म करने पर भी कोई चर्चा नहीं हो सकी। राजभवन के अधिकारियों ने केवल यह कहा कि राज्यपाल अपनी ओर से मदद करने का प्रयास करेंगे।”
इधर राजभवन के बाहर प्रदर्शनकारियों ने लंबे समय तक प्रतीक्षा की। करीब डेढ़ घंटे तक डॉक्टरों और नागरिकों ने नारेबाजी करते हुए विरोध जताया। प्रदर्शनकारियों ने पत्तों पर अपनी मांगें और नाराजगी लिखकर संदेश फैलाया।
दोपहर से शुरू हुए प्रदर्शन में पुलिस की सख्त सुरक्षा व्यवस्था देखने को मिली। पुलिस ने राजभवन के मुख्य द्वार पर बैरिकेडिंग कर रखी थी। पहले जानकारी मिली थी कि 5-7 डॉक्टरों का दल ही स्मारक पत्र सौंपेगा, लेकिन अंततः 12 डॉक्टरों का प्रतिनिधिमंडल राजभवन के अंदर गया। इससे पहले डॉक्टरों ने राज्यपाल को ईमेल के जरिए संपर्क करने की कोशिश की थी, लेकिन कोई जवाब न मिलने पर वे खुद राजभवन पहुंचकर पत्र सौंपना चाहते थे।
डॉक्टरों ने बताया कि उनका प्रदर्शन मुख्य रूप से सीबीआई पर अविश्वास जताने के लिए था। देवाशीष ने कहा, हमारी दस मांगों के साथ-साथ सीबीआई की भूमिका पर भी हमारी नाराजगी है, जिसे राज्यपाल तक पहुंचाना जरूरी था।
प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच राजभवन की ओर जाने वाले रास्तों को लेकर भी बहस हुई। पुलिस ने संकरी गलियों से जाने का सुझाव दिया, लेकिन डॉक्टरों ने उस रास्ते पर भीड़ के कारण भगदड़ की आशंका जताई। अंततः बेंटिंक स्ट्रीट से होकर प्रदर्शन आगे बढ़ा।
इस प्रदर्शन में कई सामाजिक कार्यकर्ता और आम लोग भी शामिल हुए। 80 वर्षीय एक वृद्धा भी व्हीलचेयर पर बैठकर प्रदर्शन में शामिल होने के लिए बर्धमान से आईं।
प्रदर्शनकारियों ने हाथों में राष्ट्रीय ध्वज लेकर एकजुटता का संदेश दिया। इस आंदोलन में कुछ प्रसिद्ध कलाकार भी शामिल हुए, जिनमें देबलिना और चैताली जैसी हस्तियां थीं।
प्रदर्शन को शांतिपूर्ण बनाने के लिए पुलिस ने धर्मतला और राजभवन के बीच सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए। आंदोलनकारियों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हें लालबाजार के पास से गुजरने की अनुमति नहीं दी, जिससे प्रदर्शन का मार्ग और कठिन हो गया।
राजभवन से लौटने के बाद डॉक्टरों ने साफ किया कि जब तक उन्हें ठोस आश्वासन नहीं मिलता, आंदोलन जारी रहेगा।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर