West Bengal

जूनियर डॉक्टरों ने फिर भेजा मुख्य सचिव को ईमेल, स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार की मांग

कोलकाता, 25 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टरों ने एक बार फिर राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत को ईमेल भेजकर सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए सुझाव दिए हैं। गुरुवार रात 12:05 बजे ‘वेस्ट बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट’ की ओर से यह ईमेल भेजा गया, जिसमें राज्य की सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों की सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए छह प्रमुख सुझाव दिए गए हैं।

डॉक्टरों ने मुख्य सचिव को लिखे ईमेल में कहा है, आप इस समय चक्रवात ‘दाना’ के संभावित नुकसान को कम करने के उपायों में व्यस्त हैं, और हम भी इसके लिए तैयार हैं। हालांकि, 21 अक्टूबर को हुई चर्चा के आधार पर हमें कुछ अहम मुद्दों पर ध्यान दिलाना जरूरी लग रहा है, जो राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था की कार्यक्षमता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हैं।

जूनियर डॉक्टरों ने इस बात पर जोर दिया है कि उनके द्वारा दिए गए सुझाव केवल सिफारिशें नहीं हैं, बल्कि इन्हें जरूरी कदमों के रूप में देखा जाना चाहिए। ये उपाय राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था के ढांचे में सुधार के लिए अनिवार्य हैं।

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जूनियर डॉक्टरों द्वारा दिए गए प्रमुख सुझाव

1. सरकारी अस्पतालों में खाली बेड की निगरानी: राज्य सरकार ने इसे लेकर पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है, लेकिन डॉक्टर इससे संतुष्ट नहीं हैं। उनका मानना है कि बिना बेड की सही निगरानी के ‘रिफरल’ प्रणाली काम नहीं कर पाएगी। एक महीने के भीतर इस व्यवस्था को लागू करने की मांग की गई है।

2. घंटे-घंटे बेड की जानकारी: सरकारी अस्पतालों में बेड की उपलब्धता की जानकारी हर घंटे अपडेट की जानी चाहिए। यह कदम भ्रष्टाचार रोकने और अस्पतालों में सुचारू कामकाज सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है।

3. अस्पतालों की क्षमता का मूल्यांकन: अगले छह महीनों में अस्पतालों की क्षमता का मूल्यांकन किया जाना चाहिए और इसके आधार पर बेड की संख्या बढ़ाने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए।

4. केंद्रीय रिफरल सिस्टम में सुधार: डॉक्टरों का कहना है कि केंद्रीय रिफरल सिस्टम (सीआरएस) दो प्रमुख समस्याओं का समाधान करने में विफल रहा है – पहला, जिस अस्पताल में मरीज भेजा जा रहा है वहां पर्याप्त बेड की उपलब्धता; और दूसरा, वहां उस मरीज के इलाज के लिए पर्याप्त सुविधाएं, दवाइयां और विशेषज्ञ डॉक्टरों की उपलब्धता। डॉक्टरों ने सुझाव दिया है कि रिफरल अस्पताल में दोनों शर्तों का पालन होना चाहिए, और अगर किसी एक में कमी हो, तो मरीज के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जानी चाहिए।

5. डेटा एंट्री ऑपरेटर की नियुक्ति: केंद्रीय रिफरल सिस्टम को सुचारू रूप से चलाने के लिए डेटा एंट्री ऑपरेटरों की नियुक्ति की जानी चाहिए।

6. सेवा उपलब्धता की जानकारी: जिन अस्पतालों में मरीज को भेजा जा रहा है, वहां अगर सेवा उपलब्ध नहीं है, तो उसके बारे में जानकारी देने वाले बोर्ड लगाए जाने चाहिए, ताकि मरीज और उनके परिवार के लोग भ्रमित न हों।

जूनियर डॉक्टरों ने अपने ईमेल में इन सुझावों को अनिवार्य बताते हुए मुख्य सचिव से इस पर विचार करने के लिए एक टास्क फोर्स के गठन की मांग की है।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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