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पाकिस्तान में जस्टिस डोगर की ताजा नियुक्ति के खिलाफ जजों और वकीलों ने मोर्चा खोला  

पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने कल ऐवान-ए-सद्र में जस्टिस सरदार मोहम्मद सरफराज डोगर को इस्लामाबाद हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई।

इस्लामाबाद, 15 फरवरी (Udaipur Kiran) । पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में जजों और वकीलों ने जस्टिस सरदार मोहम्मद सरफराज डोगर की नई नियुक्ति के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने जस्टिस डोगर को कल इस्लामाबाद हाई कोर्ट (आईएचसी) के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई। इससे पहले वो लाहौर हाई कोर्ट में जज थे।

डान समाचार पत्र के अनुसार, आईएचसी के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश डोगर के शपथ ग्रहण समारोह का साथी जजों ने बहिष्कार किया। यही नहीं संघीय राजधानी के वकीलों के संगठन ने भी शपथ ग्रहण समारोह से दूरी बनाए रखी। वकीलों के संगठन ने कहा कि जस्टिस डोगर की नियुक्ति उन्हें अस्वीकार्य है। शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने का निमंत्रण मिलने के बावजूद इस्लामाबाद हाई कोर्ट के पांच जस्टिस नहीं पहुंचे। इनमें जस्टिस मोहसिन अख्तर कयानी, जस्टिस तारिक महमूद जहांगीरी, जस्टिस बाबर सत्तार, जस्टिस सरदार इजाज इशाक खान और जस्टिस समन रफत इम्तियाज शामिल हैं। दिलचस्प यह है कि जस्टिस कयानी ने राष्ट्रपति भवन से कुछ दूरी पर शीर्ष अदालत की इमारत में आयोजित सुप्रीम कोर्ट के नए न्यायाधीशों के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए। उनसे एक पत्रकार ने यहां पूछा कि क्या वह अपने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होंगे, तो उन्होंने जवाब दिया कि मैं यहां सहज हूं।

जस्टिस जहांगीरी शपथ ग्रहण समारोह में जाने के बजाय इस्लामाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के प्रमाण पत्र वितरण कार्यक्रम में शामिल हुए। जस्टिस कयानी की पदोन्नति न होने पर कुछ जजों ने पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश याह्या अफरीदी को एक पत्र भेजा है। जस्टिस कयानी ने इससे पहले ही नई वरिष्ठता सूची का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस अफरीदी और तत्कालीन आईएचसी मुख्य न्यायाधीश आमिर फारूक के समक्ष शिकायत दर्ज कराई थी। जस्टिस फारूक ने नई वरिष्ठता सूची को यथावत रखते हुए उनकी शिकायत को खारिज कर दिया था।

इस्लामाबाद हाई कोर्ट बार काउंसिल और इस्लामाबाद डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने नई नियुक्ति को घुसपैठ करार दिया है। वरिष्ठ वकील राजा अलीम अब्बासी ने कहा है कि पांच जजों ने विरोध जताकर इतिहास के साथ न्याय किया है। उन्होंने 26वें संवैधानिक संशोधन की भी आलोचना की। इस्लामाबाद हाई कोर्ट बार काउंसिल के अध्यक्ष रियासत अली आजाद ने कहा कि जस्टिस डोगर की नियुक्ति ने 15 वरिष्ठ न्यायाधीशों के अधिकारों को भी छीन लिया हैं। जस्टिस कयानी की पदोन्नति को रोकने के लिए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश का नया पद सृजित किया गया है। उन्होंने कहा कि इस हेराफेरी के खिलाफ आंदोलन शुरू किया जाएगा।

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(Udaipur Kiran) / मुकुंद

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