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बांग्लादेश में दुष्कर्म व हत्या के दोषी को मौत की सजा, जज ने कहा- दोषी को जीने का अधिकार नहीं

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ढाका, 20 मार्च (Udaipur Kiran) । बांग्लादेश की राजधानी ढाका के महिला एवं बाल दमन निवारण न्यायाधिकरण-3 की न्यायाधीश रुकसाना बेगम ने आज आठ साल पुराने दुष्कर्म और हत्या के केस में आरोपित को दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई। न्यायाधीश रुखसाना ने फैसले में टिप्पणी की कि दोषी को धरती पर जीने का कोई अधिकार नहीं है।

द डेली स्टार की खबर के अनुसार, यह घटना वर्ष 2017 में राजधानी के जत्राबारी इलाके में सात साल की बच्ची के साथ हुई थी। न्यायाधीश ने अदालत कक्ष में आरोपित मोहम्मद रफीकुल इस्लाम की मौजूदगी में फैसला सुनाया। उन्होंने कहा कि दोषी को धरती पर जीने का कोई अधिकार नहीं है। इसलिए उसे ऐसे जघन्य अपराध के लिए मृत्युदंड दिया गया है। अदालत ने इस केस में 12 गवाहों के बयान दर्ज किए।

केस डायरी के अनुसार, लड़की 1 अक्टूबर, 2017 को सुबह 6:00 बजे घर से बाहर गई थी। काफी समय बीत जाने के बाद भी जब वह वापस नहीं लौटी तो उसके परिवार ने उसकी तलाश की। इसी समय रफीकुल ने उन्हें मोबाइल फोन पर सूचित किया कि बच्ची उसके कब्जे में है। इसके बाद परिवार वहां पहुंचा और बच्ची को मृत पाया। मामला दर्ज होने के बाद पुलिस ने रफीकुल को गिरफ्तार कर लिया। उसने अदालत के सामने अपना गुनाह कुबूल कर लिया। 15 मई 2019 को न्यायाधिकरण ने रफीकुल के खिलाफ आरोप तय किए।

ढाका में दो दिन में तीन बच्चियों से दुष्कर्म

द डेली स्टार की खबर के अनुसार, ढाका के मुगदा इलाके में पिछले दो दिनों में तीन बच्चियों के साथ दुष्कर्म किया गया। उन्हें आज जांच के लिए ढाका मेडिकल कॉलेज अस्पताल के वन-स्टॉप क्राइसिस सेंटर (ओसीसी) ले जाया गया। मुगदा पुलिस स्टेशन के अंतर्गत अलग-अलग इलाकों में 12 से 15 साल की उम्र की लड़कियों को निशाना बनाया गया। पुलिस ने आरोपितों जब्बार, सियाम और पिंटू रंजन दास को गिरफ्तार कर लिया है।

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(Udaipur Kiran) / मुकुंद

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