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कोलकाता, 06 नवंबर (Udaipur Kiran) । पश्चिम बंगाल के एक डिजिटल मीडिया पोर्टल के पत्रकारों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई को लेकर उठा विवाद और गहरा गया है। मंगलवार रात हुई इस कार्रवाई में पुलिस ने वेब मीडिया से जुडे पत्रकार अनन्यो गुप्ता और पंकज बिस्वास को गिरफ्तार किया था। बुधवार को बिधाननगर कोर्ट ने दोनों पत्रकारों को जमानत दे दिया। इसके साथ ही अदालत ने मामले में पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए उसे कड़ी फटकार लगाई।
कोर्ट ने आरोपितों को हिरासत में लेने की पुलिस की अर्जी खारिज करते हुए इसे अत्यधिक अनुचित करार दिया। कोर्ट के इस फैसले ने राज्य में पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि पत्रकारों के खिलाफ सबूत अपर्याप्त हैं और पुलिस की याचिका में निराधारता दिखाई दी। साथ ही, कोर्ट ने पुलिस की कार्रवाई को मीडिया की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप बताते हुए आगाह किया कि बिना पर्याप्त जांच के ऐसे कदम न उठाए जाएं। यह घटनाक्रम राज्य में स्वतंत्र मीडिया और अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर गहरी चिंता पैदा कर रहा है।
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विपक्ष का आरोप –ममता सरकार कर रही है आवाज़ों को दबाने की कोशिश
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सुकांत मजूमदार, नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी, और आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने पुलिस की इस कार्रवाई पर कड़ा विरोध जताया है। अमित मालवीय ने इसे ममता बनर्जी सरकार की ‘तानाशाही’ बताते हुए कहा कि राज्य में जो भी सरकार के खिलाफ आवाज उठाता है, उसे दबाने का प्रयास किया जा रहा है। शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि यह घटना न केवल पत्रकारिता बल्कि सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति की आवाज़ उठाने वालों के खिलाफ साजिश है।
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पुलिस का पक्ष – ‘विवादित सामग्री’ फैलाने का आरोप
विधाननगर पुलिस का कहना है कि ‘माध्यम’ न्यूज ने काली पूजा के दौरान ऐसी सामग्री प्रसारित की, जिसने इलाके में तनाव और विवाद उत्पन्न किया। पुलिस के अनुसार, इस कारण स्वतः संज्ञान लेते हुए पत्रकारों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी। लेकिन कोर्ट की फटकार के बाद पुलिस के दावे पर सवाल उठना लाज़मी है। (Udaipur Kiran) /ओम पराशर
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(Udaipur Kiran) / गंगा