Uttar Pradesh

देवर्षि नारद की भूमिका निभाएं पत्रकार : राज्य सूचना आयुक्त

उन्नाव में पत्रकारिता: आज के संदर्भ विषयक संगोष्ठी में मंचासीन अतिथिगण एवं उपस्थित गणमान्य।

उन्नाव, 15 मई (Udaipur Kiran) । देवर्षि नारद चिरंजीवी हैं। सभी काल खण्डों में उनकी उपस्थिति रही है। लोक हित के लिए वे जल, थल और नभ में वे निरंतर भ्रमण करते रहते हैं। प्राचीन ग्रंथों में उनका उल्लेख मिलता है। व्यक्ति को स्वयं प्रकृति, राष्ट्र के बारे में ज्ञान बोध होना आवश्यक है। जिस भूमिका के निर्वाह में देवर्षि नारद थे, वही भूमिका आज के पत्रकारिता क्षेत्र में होनी चाहिए। उन्नाव जनपद हिंदी पत्रकारिता का जनक रहा है। यह बातें राज्य सूचना आयुक्त उत्तर प्रदेश पदुम नारायण द्विवेदी ने गदन खेड़ा बाईपास स्थित एक होटल आयोजित नारद जन्मोत्सव पर बुधवार काे पत्रकारिता: आज के संदर्भ विषयक गोष्ठी में कही।

उन्होंने कहा कि उन्नाव जिले से हिंदी पत्रकारिता की अलख पश्चिम बंगाल में जगी थी। उदंत मार्तंड समाचार पत्र यही के निवासी पं0 जुगल किशोर शुक्ल ने पहली बार हिंदी में नारद के जन्मोत्सव के अवसर पर निकाला था। जनपद से अनेक पत्रकारों ने राष्ट्रीय क्षितिज पर कार्य किया है। पत्रकारों के सामने बड़ी चुनौतियां हैं। उन्होंने कहा कि संचार के क्षेत्र में बड़ी क्रांति आई है। पत्रकारिता से साहित्य को गति मिलती है। आज भाषा गड़बड़ा रही है, इसके लिए पत्रकारिता से जुड़े लोगों को कार्य करना होगा।

मुख्य अतिथि विधायक पंकज गुप्ता ने कहा कि पत्रकार समाज की महत्वपूर्ण कड़ी हैं। पत्रकारों की बड़ी जिम्मेदारी होती है। नारद जन्मोत्सव जैसे प्रेरणादायक कार्यक्रमों से समाज को बल मिलता है।

विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ पत्रकार सियाराम पांडेय ‘शांत’ ने कहा कि उन्नाव पत्रकारिता और साहित्य की तीर्थस्थली है। यहां की धरती ने इस धरती को अनेक शीर्ष पत्रकार और साहित्यकार दिए हैं। देवर्षि नारद के जन्मोत्सव पर उन्हें याद करते हुए सियाराम पांडेय ‘शांत’ ने कहा कि देवर्षि नारद अपने दौर के बड़े योजनाकार थे। रणनीतिकार थे। भूत, भविष्य और वर्तमान के ज्ञाता होने के साथ वे धर्म-संस्कृति के ध्वज वाहक भी थे। उनकी योजना कभी रद्द नहीं होती थी। उनकी वाणी कभी गलत नहीं होती थी। हम पत्रकारों को नारद जी के इन गुणों को आत्मसात करना चाहिए और लोकमंगल की पत्रकारिता करनी चाहिए।

कार्यक्रम के संयोजक अरुण कुमार दीक्षित ने कहा कि ऋग्वेद में उनके रचे सूक्त हैं। यहां वह सोम की स्तुति करते हैं। यह सोम तेजस्वी हैं। हमें भी बनाएं जैसे मित्र एक दूसरे को प्यार करते हैं वैसे ही आप मुझे भी प्यार करें। यहां विनती नहीं है। मित्रता की प्यास है। स्तुति है। ऋग्वेद में ही नारद गाते हैं। इंद्र उत्तम कार्य करने वालों को ऐश्वर्यशाली बनाएं। नारद वैदिक ऋषि हैं। ऋग्वैदिक काल हजारों वर्ष प्राचीन है महाभारत के सभा पर्व में नारद युधिष्ठिर की वार्ता का उल्लेख है।

अध्यक्षता करते हुए डॉक्टर रामनरेश ने कहा कि पत्रकारिता आज के संदर्भ में बड़ी तेजी से पूरी दुनिया में परिवर्तन हो रहा है। पत्रकारिता में भी बदलती दुनिया के अनुसार पत्रकारिता और साहित्य में परिवर्तन हो रहा है, मगर मूल बीज वही रहेगा। साहित्य पत्रकारिता लोक हित के लिए होती है। आधुनिक पत्रकारिता में भी नारद की तरह प्रश्न करने वाले हैं। प्रश्न किए भी जाते हैं।

कार्यक्रम में साहित्य के क्षेत्र में डाक्टर शशि रंजना अग्निहोत्री, चिकित्सा में डाक्टर सुरेंद्र मिश्रा, पत्रकारिता में कामता सिंह, विधि में राजेश त्रिपाठी, शिक्षा में शिवकण्ठ त्रिपाठी, अवधी साहित्य में राम किशोर वर्मा जैसी प्रतिभाओं को सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर विनय दीक्षित, डॉ. जितेन्द्र पांडेय, राजा बाबू अगिनहोत्री, सुधीर शुक्ला, शत्रुघ्न सिंह, सुरेंद्र लोधी, दिवाकर सिंह, संजय त्रिपाठी, संजय शुक्ला, आदित्य दीक्षित, सचिन त्रिवेदी, विवेक तिवारी, सौरभ मिश्रा, अमर रतन चोधरी, दीपिका पांडेय, निशा अग्निहोत्री, राजरानी रावत, अंजनी कुमार पाठक, प्रो. उमेश बाजपेई, प्रदीप सिंह, योगेंद्र सिंह, प्राचीद्र मिश्र और आशीष गौड़ आदि उपस्थित रहे।

(Udaipur Kiran) / मोहित वर्मा

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