अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार पर लगाया फर्जी दस्तावेज उपलब्ध कराने का आरोप।
कोलकाता, 28 अप्रैल (Udaipur Kiran) ।
भारतीय जनता पार्टी के सूचना प्रौद्योगिकी प्रकोष्ठ प्रमुख और पश्चिम बंगाल के पर्यवेक्षक अमित मालवीय ने सोमवार को एक कार्टून के जरिए पश्चिम बंगाल सरकार और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। इस कार्टून में टैगलाइन थी – ‘टीएमसी में शामिल हों, नागरिक बनें’, जो अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों को बढ़ावा देने के आरोपों पर आधारित थी।
अमित मालवीय ने हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तार किए गए अवैध बांग्लादेशी घुसपैठिये अहमद हुसैन आजाद के मामले का हवाला दिया। जांच में पता चला कि आजाद न केवल अवैध रूप से पश्चिम बंगाल में रह रहा था, बल्कि वह मनी लॉन्ड्रिंग और फर्जी भारतीय पहचान पत्र तैयार कराने के गिरोह में भी सक्रिय था।
कार्टून में एक महिला (संभावित रूप से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का चित्रण) को एक काउंटर के पीछे दिखाया गया है, जिस पर बोर्ड लगा है – ‘सेवा केंद्र – हर दस्तावेज़ के लिए एक जगह’। काउंटर पर तीन मुख्य संदेश लिखे हुए हैं – ‘नए मतदाताओं का स्वागत, टीएमसी में शामिल हों, नागरिक बनें’, ‘आधार, वोटर आईडी, राशन, पैन’, और ‘न कोई दस्तावेज़ चाहिए, न कोई सवाल’। इसके अलावा बोर्ड पर यह भी लिखा है – ‘रोहिंग्या और बांग्लादेशियों के लिए विशेष सहायता उपलब्ध’।
नए साल की शुरुआत से ही राज्य में अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए फर्जी भारतीय दस्तावेज तैयार कराने के कई मामलों में गिरफ्तारियां हुई हैं। पिछले महीने कोलकाता पुलिस ने फर्जी पासपोर्ट घोटाले में एक आरोप पत्र दाखिल किया था, जिसमें उल्लेख किया गया कि आरोपित 130 लोगों में से 120 बांग्लादेशी नागरिक थे और शेष भारतीय थे।
आरोपों के अनुसार, बांग्लादेशी नागरिकों ने भारी धनराशि देकर फर्जी भारतीय पासपोर्ट बनवाए। वहीं, भारतीय नागरिकों पर इन दस्तावेजों को तैयार कराने में सहयोग देने का आरोप है। कोलकाता पुलिस ने इस मामले में अब्दुल हई नामक सेवानिवृत्त सहायक उपनिरीक्षक को भी गिरफ्तार किया था। आरोप पत्र में बताया गया कि हई ने 52 पुलिस सत्यापन रिपोर्टों के जरिये आर्थिक लाभ कमाया था।
जांच में एक खास पैटर्न भी सामने आया है। किसी भी घुसपैठिये के भारत में अवैध रूप से प्रवेश करने के बाद स्थानीय एजेंट उनसे संपर्क करते हैं। मोटी रकम के एवज में उन्हें पहले भारत-बांग्लादेश सीमा के आसपास के गांवों में सुरक्षित आश्रय दिया जाता है। फिर फर्जी राशन कार्ड तैयार कराया जाता है, जो अन्य दस्तावेजों के निर्माण की पहली सीढ़ी होती है। इसके बाद फर्जी आधार कार्ड, वोटर आईडी और पैन कार्ड बनवाए जाते हैं। अंततः इन्हीं फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पासपोर्ट भी बनवाए जाते हैं।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
