Madhya Pradesh

मप्र में खाद संकट काे लेकर जीतू पटवारी का सरकार पर हमला, कहा- लाइन में लगे किसानों पर पुलिस बरसा रही लाठियां

मप्र में खाद संकट काे लेकर जीतू पटवारी का सरकार पर हमला

भोपाल, 26 नवंबर (Udaipur Kiran) । प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने खाद संकट को लेकर केंद्र और राज्य सरकार पर निशाना साधा है। मंगलवार काे प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में पत्रकार वार्ता काे संबाेधित करते हुए जीतू पटवारी ने कहा कि केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारें खेती-किसानी पर गहरा आघात कर रही है। एक तरफ किसानों को पर्याप्त समर्थन मूल्य नहीं दिया जाता, दूसरी ओर उन्हें समय पर खाद उपलब्ध नहीं कराया जाता। साथ ही खेती की लागत इतनी बढ़ा दी गई है कि किसानों का लागत मूल्य भी नहीं निकल पा रहा है।

मध्य प्रदेश के किसान कई-कई दिनों तक खाद लेने के लिए कतारों में खड़े हैं। जीतू ने तंज कसते हुए कहा कि भाजपा की सरकार में किसान पुलिस की लाठियां खा रहे हैं और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री इसका संज्ञान लेने की अपेक्षा सात समुंदर पार सत्ता का लुत्फ उठा रहे हैं। बता दें कि मध्यप्रदेश में रबी सीजन में गेहूं, चना, मटर, सरसों, गन्ना, अलसी जैसी प्रमुख फसलें पैदा की जाती हैं।

डीएपी खाद का संकट गहराया: जीतू पटवारी ने कहा कि मध्य प्रदेश और देश में डीएपी खाद का गहरा संकट है। प्रदेश में रबी सीजन में भारत सरकार द्वारा 8 लाख मेट्रिक टन डीएपी उपलब्ध कराने की सहमति प्रदान की थी। मगर दुर्भाग्यपूर्ण है कि 20 नवंबर 2024 तक मात्र 4.57 लाख मेट्रिक टन डीएपी उपलब्ध कराई गई और अब तक प्रदेश में मात्र 2.91 लाख मेट्रिक टन डीएपी का विक्रय किया गया।

डीएपी और काम्पलेक्स खाद सिर्फ बोवनी के समय ही प्रयुक्त किया जाता है। अभी अक्टूबर-नवम्बर माह बोवनी का चरम समय होता है, मगर भारत सरकार द्वारा डीएपी उपलब्ध कराये जाने के आश्वासन का आधा खाद भी उपलब्ध नहीं है।

दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि जहां प्रदेश में यूरिया की आवश्यकता 20 लाख मेट्रिक टन की है। वहां उपलब्धता 12.70 लाख मेट्रिक टन मात्र की है और 20 नवंबर 2024 तक इसका विक्रय 7.69 लाख मेट्रिक टन मात्र किया गया है। यूरिया को रबी सीजन में कम से कम तीन बार प्रयुक्त किया जाता है।

मध्य प्रदेश के सोयाबीन किसानों से सौतेला व्यवहार:

पीसीसी चीफ पटवारी ने सोयाबीन की फसल लगाने वाले किसानों के साथ सौतेले व्यवहार का आराेप लगाते हुए कहा कि मध्यप्रदेश में लगभग 52 लाख हेक्टेयर भूमि में सोयाबीन की बुवाई हुई है और 55 से 60 लाख टन मध्य प्रदेश में सोयाबीन उत्पादित हुआ है। सोयाबीन किसानों को फसलों के दाम लागत मूल्य जितने भी नहीं पा रहे थे। जिसके चलते देश के कृषि मंत्री और प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने प्राईस सपोर्ट स्कीम पर सोयाबीन को समर्थन मूल्य 4892 रुपये प्रति क्विंटल खरीदने का किसानों को आश्वासन दिया था। जबकि हकीकत कुछ और ही है। राज्य सरकार ने 2024-25 खरीफ सीजन के लिए 10 सितम्बर 2024 को 27.34 लाख मैट्रिक टन सोयाबीन खरीदने का अनुरोध किया था। मगर प्रदेश के साथ सौतेला व्यवहार करते हुए मात्र 13,68,045 मैट्रिक टन सोयाबीन खरीदने की अनुमति ही केंद्र द्वारा दी गई। उसमें से भी 25 अक्टूबर से 21 नवंबर 2024 तक मात्र 56768.85 मैट्रिक टन सोयाबीन खरीदा गया।

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(Udaipur Kiran) / नेहा पांडे

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