नई दिल्ली, 12 जुलाई (Udaipur Kiran) । उद्योगपति मुकेश अंबानी की फाइनेंशियल सेक्टर की कंपनी जियो फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड अब नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी (एनबीएफसी) से बदलकर कोर इन्वेस्टमेंट कंपनी (सीआईसी) बन जाएगी। इसके लिए कंपनी को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) से मंजूरी मिल गई है।
जियो फाइनेंशियल सर्विसेज ने शुक्रवार को स्टॉक एक्सचेंज को दी जानकारी में बताया कि कंपनी को नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी से कोर इन्वेस्टमेंट कंपनी में परिवर्तित करने की मंजूरी रिजर्व बैंक से 11 जुलाई को मिल गई है। कंपनी ने नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल से कोर इन्वेस्टमेंट कंपनी में बदलने के लिए आरबीआई के पास आवेदन किया था। कंपनी ने 21 नवंबर, 2023 को इसकी जानकारी दोनों एक्सचेंजों को दी थी।
क्या होता है कोर इन्वेस्टमेंट कंपनी
कोर इन्वेस्टमेंट कंपनी (सीआईसी) एक स्पेशलाइज्ड एनबीएफसी है, जिसका एसेट साइज 100 करोड़ रुपये से अधिक होता है। आरबीआई की परिभाषा के अनुसार कोर इन्वेस्टमेंट कंपनी की एसेट की साइज 100 करोड़ रुपये से ज्यादा होनी चाहिए। इसके साथ ही उसे अपनी नेट एसेट का कम से कम 90 फीसदी इक्विटी शेयर, तरहीजी शेयर यानी बॉन्ड, डिबेंचर या समूह कंपनियों में लोन जैसे निवेश के तौर पर रखना होता है। यह स्ट्रक्चर सब्सिडियरी कंपनियों में जरूरी पूंजी के निवेश को मंजूरी देता है।
जियो फाइनेंशियल सर्विसेज मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) का सब्सिडियरी कंपनी थी। इस कंपनी का 20 जुलाई, 2023 को आरआईएल से डीमर्जर हो गया था। आरबीआई ने डीमर्जर होने के बाद शेयरहोल्डिंग पैटर्न बदलते समय जियो फाइनेंशियल सर्विसेज को सीआईसी में बदलने का निर्देश दिया था।
(Udaipur Kiran) / प्रजेश शंकर / सुनीत निगम