जींद, 16 जनवरी (Udaipur Kiran) । आदर्श कालोनी में भयंकर ठंड में बाईक रिक्शा के नीचे पड़ी नवजात बच्ची की मां का दूसरे दिन गुरुवार को भी कोई सुराग नहीं लगा है। इस मामले में पुलिस जुटी हुई है। पुलिस सीसीटीवी फुटेज को खंगाल रही है, ताकि बच्ची की कलयुगी मां का पता गाया जा सके। इसके अलावा आशा वर्करों व आंगनवाड़ी वर्करों से भी जानकारी हासिल की जा रही है।
गौरतलब है कि नगर की आदर्श कॉलोनी निवासी एक महिला सीमा को घर की खिड़की से अल सुबह एक बच्ची की रोने की आवाज सुनाई दी। आवाज को सुन कर सीमा बाहर आई तो उसने देखा कि गली में खड़ी एक रिक्शा बाइक के नीचे कपड़े में लिपटी खून से लथपथ एक बच्ची रो रही है और उसके चारों ओर कुत्ते मंडरा रहे थे। बच्ची का रो रोकर बुरा हाल था। महिला ने इंसानियत दिखाते हुए तत्काल लड़की को वहां से उठाया और अपने घर पर लेकर आई। उसने उसके कपड़े बदले तथा उसे दूध पिलाकर शांत करवाया। उसके बाद उसने इसकी सूचना सफीदों पुलिस को दी। सूचना पाकर पुलिस मौके पर पहुंची और एंबुलेंस को बुलाकर नवजात बच्ची को सफीदों के नागरिक अस्पताल में पहुंचाया। जहां से उसे एक निजी अस्पताल में ले जाया गया। उसके बाद सफीदों पहुंची जिला बाल संरक्षण अधिकारी सुजाता व उनकी टीम उस बच्ची को अपने साथ जींद ले गई। पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इस मामले में सिटी थाना प्रभारी ईश्वर सिंह ने बताया कि अभी तक बच्ची की मां का कुछ भी अता पता नहीं चल पाया है। पुलिस की कई टीमें उसकी तलाश में लगी हुईं हैं।
बच्ची को डिस्चार्ज के बाद भेजा जाएगा स्टेट एडॉप्शन एजेंसी : कांता
महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी कांता यादव ने बताया कि सफीदों के वार्ड नम्बर 14 की आदर्श कॉलोनी में नवजात बच्ची किसी व्यक्ति को लावारिस हालात में मिली थी। जिसने उसे सफीदों के निजी अस्पताल में दाखिल करवाया था। इस आशय की सूचना पुलिस विभाग द्वारा महिला बाल संरक्षण इकाई को दी गई। जिस पर टीम द्वारा तुरंत कार्यवाही करते हुए मौके पर पहुंचकर बच्ची को संरक्षण में लिया और बच्ची को इलाज के लिए तुरंत जींद के नागरिक अस्पताल में दाखिल करवाया गया। इलाज कर रहे डाक्टरों द्वारा बताया गया कि बच्ची का स्वास्थ्य अब ठीक है। बच्ची को डिस्चार्ज उपरांत स्टेट एडॉप्शन एजेंसी को भेज दिया जाएगा, ताकि बच्ची को गोद देने की विभागीय प्रक्रिया अमल में लाई जा सके। डीपीओ कांता यादव ने बच्ची के माता-पिता या अभिभावकों से आह्वान किया कि वे बच्ची को अपनाना चाहते हैं तो जींद के लघु सचिवालय स्थित कार्यालय में अगले 15 दिनों तक पहुंच कर बच्ची को अपना सकते हैं।
(Udaipur Kiran) / विजेंद्र मराठा