जींद, 4 नवंबर (Udaipur Kiran) । मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी एवं सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मोनिका ने सोमवार को नशा मुक्ति केंद्र नजदीक सोमनाथ मंदिर का औचक निरीक्षण किया। उन्होंने नशे की परिभाषा से लेकर, उसके प्रकार, प्रतिबंधित और चेतावनी युक्त नशों के बारे बताया। उन्होंने बताया कि भारत में वर्ष 1985 से एनडीपीएस एक्ट अर्थात नारकोटिक्स इग्स एवं साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस एक्ट लागू किया गया है। इस अधिनियम के तहत होने वाले अपराध संशेय और अजमानतीय होते हैं। कठोर दंड के प्रावधान इसमें है। नशे को मनुष्य के लिए घातक माना गया है।
इस अवसर पर नशा मुक्ति केंद्र में 11 लोग मौजूद थे। प्राधिकरण सचिव ने केंद्र में रह रहे व्यक्तियों को दी जाने वाली सुविधाओं की जानकारी ली और जरूरी दिशा-निर्देश भी दिए। इसके अलावा उनके रहने-सहने के बारे में विस्तार से जानकारी ली। उन्होंने स्टाफ को निर्देश दिए की व्यक्तियों की देखरेख में कोई कमी नहीं आनी चाहिए तथा उनके स्वास्थ्य से संबंधित कोई भी लापरवाही न की जाए।
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(Udaipur Kiran) / विजेंद्र मराठा