Haryana

जींद: श्री गुरु ग्रंथ साहिब के प्रथम प्रकाश पर्व को श्रद्धा से मनाया

गुरूबाणी सुनते हुए श्रद्धालु।

जींद, 15 सितंबर (Udaipur Kiran) । सुखमनी सेवा सोसायटी गुरुद्वारा गुरु सिंह सभा द्वारा रविवार को श्री गुरु ग्रंथ साहिब के प्रथम प्रकाश पर्व को समर्पित अपने 20वें गुरमत समागम का आयोजन किया गया। समागम में बाहर से आए रागी विद्वान, कथा वाचक तथा ढाढी जत्थो ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब की महिमा का गुणगान किया। गुरुघर के प्रवक्ता बलविंदर सिंह के अनुसार गुरमत समागम में सबसे पहले गुरुद्वारा साहिब के रागी भाई गुरदित्त सिंह के रागी जत्थे द्वारा शब्द कीर्तन गायन किया गया।

तख्त श्री दमदमा साहिब से आए प्रसिद्ध कथा वाचक ज्ञानी गुरसेव सिंह अपने कथा प्रवचनों में श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी की विशेषताओं का व्याख्यान करते हुए बताया कि इस पवित्र ग्रंथ में गुरुओं, भक्तों की बाणी पर हम सभी को अमल करना चाहिए। हमेशा सच के मार्ग पर चलना चाहिए। अपने मन को परमात्मा के मन से जोडऩा चाहिए। जरूरतमंद लोगों की मदद हमेशा करनी चाहिए। गुरु ग्रंथ साहिब हमें अपना जीवन जीने के तरीके के बारे में मार्गदर्शन करते हैं। यह मानवता की एकता के बारे में सिखाता है।

इसके बाद दरबार साहिब अमृतसर से आए हजूरी रागी भाई गुरदित्त सिंह के रागी जत्थे ने निरोल गुरबाणी कीर्तन करके संगतों का मन मोह लिया। समागम के अंत में गुरु की नगरी सुल्तानपुर लोधी से आए भाई सुखदेव सिंह चमकारा के इंटरनेशनल गोल्ड मेडलिस्ट ढाढी जत्थे ने गुरू श्री ग्रंथ साहिब के गुरु इतिहास को अपनी ढाढी वारों में पिरोकर संगतों को बताया कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब का पहला प्रकाश 1604 में हरमंदिर साहिब अमृतसर में किया गया। जिसका संपादन पांचवें गुरु अर्जुन देव ने किया था। 1705 में दशम पिता गुरू गोबिन्द सिंह ने दमदमा साहिब में इसमें अपने पिता गुरु तेग बहादुर साहिब के 116 शब्द दर्ज करके इसको संपूर्ण किया। इसमें कुल 1430 पृष्ठ हैं।

गुरूघर के प्रवक्ता बलविंद्र सिंह ने कहा कि श्री गुरू ग्रंथ साहिब में मात्र सिख गुरूओं के उपदेश ही नही है बल्कि 30 अन्य संतों और अलग धर्म के मुस्लिम भक्तों की वाणी भी सम्मलित है। इसमें जहां जयदेव जी और परमानंद जी जैसे ब्राह्मण भक्तों की वाणी है वहीं जाति-पाती के आत्महंता भेदभाव से ग्रस्त तत्कालीन हिंदू समाज में हेय समझे जाने वाली जातियों के प्रतिनिधि दिव्या आत्माओं जैसे कबीर, रविदास, नामदेव, सैण जी, सघना जी, छीवा जी, धन्ना की वाणी भी सम्मलित है। पांचों वक्त नमाज पढऩे में विश्वास रखने वाले शेख फरीद के श£ोक भी श्री गुरू ग्रंथ साहिब में दर्ज हैं।

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(Udaipur Kiran) / विजेंद्र मराठा

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