रांची, 27 अगस्त (Udaipur Kiran) । झारखंड हाई कोर्ट की सुरक्षा से संबंधित कई जनहित याचिकाओं की सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने मंगलवार को झारखंड लीगल सर्विस अथॉरिटी (झालसा) की हाई कोर्ट के निकट बनने वाले भवन के निर्माण में देरी पर कड़ी नाराजगी जताई।
खंडपीठ ने सुनवाई के दाैरान मौखिक कहा कि वर्ष 2018 में इस भवन के निर्माण के लिए 48 करोड़ रुपये की टेक्निकल स्वीकृति दी गई थी, जो वर्ष 2024 में 57 करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है। राज्य सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि वह झालसा के नए भवन को बनाने के लिए मे देरी क्यों कर रही है जबकि इसके लिए जमीन भी सरकार की ओर आवंटित कर दी गई है और जमीन की घेराबंदी भी हो चुकी है। निर्माण में देरी करने से लागत राशि में बढ़ोतरी होती है।
कोर्ट ने कहा कि झालसा के नए भवन बनने में छह वर्षों की देरी हो चुकी है, जो पैसे खर्च होंगे जनता की कमाई के पैसे हैं। साथ ही कहा कि यदि राज्य सरकार की ओर से कारण स्पष्ट नहीं किया गया तो मुख्य सचिव को भी कोर्ट में बुलाया जा सकता है। झालसा के पुराने भवन में मेडिएशन सेंटर, ऑडिटोरियम जैसे कई आधारभूत संरचना की कमी है।
राज्य के सिविल कोर्ट सुरक्षा एवं आधारभूत संरचना के संबंध में खंडपीठ ने झारखंड स्टेट बार काउंसिल को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने काउंसिल से पूछा है कि जिलों के बार भवन मे सुरक्षा की क्या-क्या कमी है और कहां-कहां भवन बनाने की जरूरत है, इन सारे विषयों पर जवाब दाखिल करें। साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी आवंटित फंड के संबंध में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
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(Udaipur Kiran) / शारदा वन्दना / चन्द्र प्रकाश सिंह