RAJASTHAN

झांसी हादसे के खुली नींद, अब रिफिलिंग के लिए भेजे अग्निशमन यंत्र

चित्तौड़गढ़ के जिला चिकित्सालय में स्टाफ को अग्निशमन यंत्र चलाने का प्रशिक्षण दिया गया।

चित्तौड़गढ़, 19 नवंबर (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश के झांसी के अस्पताल में आग लगने से एक दर्जन नवजात शिशुओं की मौत के बाद जिला चिकित्सालय के चिकित्सा प्रशासन की नींद खुली है। महिला एवं बाल चिकित्सालय में स्थित स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट में लगे फायर इक्स्टिंगग्विशर (अग्निशमन यंत्र) को अब रिफिलिंग के लिए भेजा है। बड़ी बात यह कि स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट में वर्तमान में एक भी अग्निशमन यंत्र नहीं है। ऐसे में कोई आगजनी की घटना होती है तो फिर आग पर काबू पाने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं है। फायर सेफ्टी सिस्टम इस यूनिट के बाहर की और है।

जानकारी में सामने आया कि झांसी में हुई घटना के बाद आपातकालीन स्थित और आग लगने के दौरान इंतजामों की समीक्षा की गई। यहां देखने में आया कि महिला एवं बाल चिकित्सालय के न्यू बोर्न बेबी केयर यूनिट में भी फायर इक्स्टिंगग्विशर नहीं है। जानकारी में आया कि झांसी की घटना के बाद इन्हें रिफिलिंग कराने के लिए भेजा गया है। पूरे अस्पताल में जांच के दौरान एक दर्जन से अधिक आग बुझाने के यंत्र रिफिलिंग के लिए भेजे गए और वर्तमान में महत्वपूर्ण स्थलों पर भी फायर इक्स्टिंगग्विशर नहीं है। इधर, जानकारी में आया कि शॉर्ट सर्किट से लगी आग बुझाने में काम आने वाले एटीसी ड्राई केमिकल पाउडर के यंत्र भी रिफिलिंग के लिए भेजे है। पीछे से आगजनी की घटना होती है और उपकरणों के अभाव में समय पर काबू नहीं पाया जाता तो उसके लिए कौन जिम्मेदार है। बड़ा सवाल यह भी है कि समय पर अग्निशमन यंत्र की रिफिलिंग क्यों नहीं हो रही है या फिर वैकल्पिक व्यवस्था कर के अग्निशमन यंत्र की रिफिलिंग क्यों नहीं करवाई गई।

यंत्र नहीं चले तो उसका जिम्मेदार कौन

जानकारी मिली है कि आपातकालीन स्थिति में आग लगने के दौरान काम आने वाले फायर इक्स्टिंगग्विशर और दूसरे आग बुझाने के यंत्रों को हर साल रिफिलिंग के लिए भेजना पड़ता है। जिला चिकित्सालय में रिफिलिंग करने वाली फर्म रिफिल करने के बाद न तो लाइसेंस जारी करती है और न ही रिफिलिंग सर्टिफिकिट प्रदान करती है। ऐसे में सवाल यह है कि कभी भी आपात स्थिति में यह यंत्र काम करेगा या नहीं इसकी जिम्मेदारी कैसे तय होगी।

दो बड़े परिसर, दो फायरमैन के ब्रिज व्यवस्था

जिला का सबसे चिकित्सालय श्री सांवलियाजी राजकीय सामान्य चिकित्सालय में करीब 400 से अधिक बेड पर मरीज भर्ती रहते है और डेढ़ हजार से अधिक का आउटडोर है। ऐसे में महज दो फायरमेन पूरे अस्पताल में कार्यरत है। यदि ऐसी कोई घटना हो तो यह फायरमेन एक से दूसरे वार्ड तक में नहीं पहुंच सकते। महिला एवं बाल चिकित्सालय भी जिला चिकित्सालय परिसर के अंदर ही है।

स्टाफ को दिया प्रशिक्षण

उत्तरप्रदेश के झांसी में अस्पताल में हुई घटना के बाद जिला चिकित्सालय प्रशासन ने नर्सिंग स्टाफ को भी अग्निशमन यंत्र चलाने के लिए प्रशिक्षण दिया। कॉटेज वार्ड के बाहर करीब एक दर्जन से अधिक फायर इक्स्टिंगग्विशर रिफिलिंग के लिए खोले हुए देखे गए।

श्री सांवलियाजी राजकीय सामान्य चिकित्सालय चित्तौड़गढ़ क प्रमुख चिकित्साधिकारी डॉ दिनेश वैष्णव ने बताया कि आग लगने की स्थिति में चित्तौड़गढ़ के श्री सांवलिया जी राजकीय अस्पताल के मुख्य भवन और महिला एवं बाल चिकित्सालय में फायर सेफ्टी का प्लांट कार्यरत है। इसकी समय-समय पर जांच की जाती है और सभी स्थानों पर इससे आग पर नियंत्रण किया जा सकता है। हाल ही में फायर सेफ्टी सिस्टम की जांच की है और यहां सब कुछ सही है।

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(Udaipur Kiran) / अखिल

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