Madhya Pradesh

झाबुआ: सायबर क्राइम से बचने का एकमात्र तरीका है, जागरूकता और सतर्कता; केबिनेट मंत्री निर्मला भूरिया            

केबिनेट मंत्री निर्मला भूरिया

झाबुआ, 22 जनवरी (Udaipur Kiran) । महिला एवं बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने कहा कि वर्तमान में आधुनिक तकनीक का गलत इस्तेमाल किए जाने के कारण सायबर क्राइम आज के दौर का नवीनतम और खतरनाक क्राइम हो गया है, किंतु इस सायबर क्राइम से बचने का एकमात्र तरीका जागरूकता और सतर्कता है। मंत्री निर्मला भूरिया बुधवार को भोपाल के समन्वय भवन में 9 वीं नेशनल साइबर साइकोलॉजी क्रॉन्फ्रेंस के एक दिवसीय कार्यशाला के शुभारंभ पर सम्बोधित कर रही थीं।

जिला जन संपर्क अधिकारी द्वारा शिविर के संबंध में दी गई जानकारी अनुसार मंत्री निर्मला भूरिया द्वारा अपने उद्बोधन में बढ़ते सायबर अपराधों पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से किए जा रहे प्रयासों के बारे में विस्तृत रूप से बताया गया। शिविर में मुम्बई के एथिकेल हैकर और सायबर सेक्यूरटी एक्सपर्ट, और रिस्पांसिबल नेटिज्म की फांउडर सीईओ सुश्री सोनाली पाटनकर भी मौजूद रहे।

केबिनेट मंत्री निर्मला भूरिया ने कार्यशाला में अपने उद्बोधन में कहा कि मध्यप्रदेश राज्य महिला आयोग और रिस्पॉन्सिबल नेटिज्म संस्था मुम्बई के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य युवाओं में साइबर वेलनेस के बारे में जागरूकता एवं सुरक्षित डिजिटल परिदृश्य को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि यह कार्यशाला सायबर अपराधों से समाज को सुरक्षित करने का अभिनव प्रयास है। मोबाईल के बढ़ते उपयोग से एक तरफ जहां लोगों के काम तो आसान हुए हैं, वहीं दूसरी तरफ इससे उनकी सुरक्षा पर भी सवाल खडें हुए है। वर्तमान में सायबर क्राइम के सबसे ज्यादा सॉफ्ट टारगेट बुजुर्ग, महिला और बच्चें है।

मंत्री ने बढ़ते सायबर अपराधों पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से किए जा रहे प्रयासों के बारे में कहा कि महिला एवं बाल विकास विभाग का लक्ष्य बच्चों, युवाओं और महिलाओं को सायबर सुरक्षित बनाना है। इससे न केवल सायबर वेलनेस को बढ़ावा मिलेगा बल्कि युवाओं में ऑनलाइन संकट को रोकने की क्षमता को विकसित किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि युवतियों और महिलाओं के विरूद्ध बढ़ते सायबर अपराधों पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय परिसर में भारत का पहला सायबर वेलनेस सेल लांच किया गया है।

मंत्री निर्मला भूरिया ने कार्यक्रम में बड़ी संख्या में उपस्थित कॉलेज और स्कूल के विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे प्रदेश के बच्चों की सुरक्षा के लिये सक्रिय भूमिका निभाएँ। उन्होंने कहा कि इस कान्फ्रेंस के माध्यम से डिजिटल साक्षरता, ऑनलाइन सुरक्षा, सायबर धमकी और ऑनलाइन यौन अपराधों जैसे सायबर खतरों को रोकने के लिये इस सम्मेलन में युवाओं को जिम्मेदार सोशल मीडिया उपयोग पर शिक्षित किया जाएगा।

शिविर में मौजूद मुम्बई के एथिकेल हैकर और सायबर सेक्यूरटी एक्सपर्ट रिजवान शेख ने बताया कि सायबर क्राइम के जाल से बचने का सबसे सरल समाधान सावधानी बरतना है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में एआई के माध्यम से डीपफेक जैसे अपराध ज्यादा हो रहे है। वर्चुअल वर्ल्ड सिर्फ हैकिंग तक सीमित नहीं है। यह इससे कहीं ज्यादा डीप है। रिजवान ने कहा कि जब भी कोई डिजिटल अरेस्ट जैसी परिस्थिति में फंस जाता है, अथवा ओटीपी या डीप फेक वॉयस के माध्यम से पैसे की माँग करते है तो सायबर क्रिमनल के डर से कभी भी तुरंत पैसा ट्रासंफर न करें। ऐसे समय अपने आप को गरीब और असहाय बताएँ।

रिस्पांसिबल नेटिज्म की फांउडर सीएओ सोनाली पाटनकर ने जानकारी देते हुए बताया कि फाउडेशन द्वारा मध्यप्रदेश के 11 जिलों के 22 कॉलेजों के पाँच हजार से अधिक युवा लड़कियों को सफलतापूर्वक शिक्षित किया है। सायबर सखी के नाम से पिछले वर्ष इसकी शुरूआत की गई थी। फाउन्डेशन द्वारा मध्यप्रदेश सीएम हेल्पलाइन के कर्मचारियों को सफलतापूर्वक प्रशिक्षित किया गया है।

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(Udaipur Kiran) / उमेश चंद्र शर्मा

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