जयपुर, 22 नवंबर (Udaipur Kiran) । जेडीए नींदड़ आवासीय योजना में पुलिस के पहरे में सड़क बनाने और भूमि समतलीकरण करवाने का काम लगातार जारी है। इसी बीच शुक्रवार को किसान ने काम का विरोध जताया। विरोध के बीच जेडीए का पुलिस और किसान आमने-सामने हो गए। विरोध प्रदर्शन बढ़ता देखकर जेडीए के कई अन्य अधिकारी भी मौके पर पहुंचे। किसानों ने अपनी मांगों को लेकर जेडीए अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा। किसान जेडीए पर समझौते से मुकरने का आरोप लगा रहे है।
ईओ सुरेंद्र कुमार सैनी ने बताया कि नींदड आवासीय योजना में किसानों का धरना जारी है। शुक्रवार को काम के दौरान किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया। जेडीए के तहसीलदार सहित अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे। किसानों ने अपनी मांगों का एक ज्ञापन जेडीए अधिकारियों को सौंपा है। जेडीए ने यहां पर शुरूआती दौर में मंदिर माफी और सरकारी भूमि पर विकास कार्य करवा रहा है। किसानों का कहना है कि सरकार ने उनका आंदोलन खत्म करवाने के लिए समझौता किया, लेकिन अब उसी समझौते को खारिज करने की कोशिश हो रही है। किसानों का कहना है कि जेडीए ने जमीन समाधि सत्याग्रह को खत्म करवाने के लिए लिखित में समझौता किया था। उसकी अवहेलना की जा रही है। अब सरकार किसानों से धोखा कर रही है।
गाैरतलब है कि अनूठे जमीन समाधि सत्याग्रह के बाद देश—दुनिया में चर्चाओं में आए नींदड़ में पुलिस और किसानों के बीच झड़प हो गई थी। पुलिस के जवानों ने महिलाओं और बच्चों तक से बदसलूकी की थी। जब इसका विरोध किया गया तो पुलिस ने तोड़फोड़ शुरू कर दी। इसके जवाब में किसानों ने पथराव किया। पथराव के चलते पुलिस को पीछे हटना पड़ा था। 16 सितम्बर 2017 को सीकर हाइवे स्थित नींदड़ में जयपुर विकास प्राधिकरण की प्रस्तावित आवासीय कॉलोनी में 1296 बीघा जमीन अवाप्ति भूमि को निरस्त करने की मांग को लेकर किसानों आंदोलन पर उतर गए थे। नींदड योजना के तहत जेडीए यहां के 15 बीघा जमीन को अपने कब्जे में लेकर सड़क बना दी थी, जिसके विरोध में स्थानीय किसान आंदोलन पर उतर गए।
गौरतलब है कि सीकर रोड पर हरमाड़ा के पास नींदड़ आवासीय स्कीम 1296 बीघा में बसाई जा रही है। इसमें 280 बीघा जमीन जेडीए खातेदारी व 120 बीघा जमीन मंदिर माफी की है। वहीं करीब 800 बीघा जमीन किसान सरेंडर कर चुके है। किसानों ने नगेंद्र सिंह शेखावत के नेतृत्व में 40 दिन तक जमीन समाधि सत्याग्रह भी किया था।
जेडीए ने नींदड़ आवासीय स्कीम की प्लानिंग 2009 में शुरु की थी। जेडीए ने अक्टूबर 2010 में भूमि अवाप्ति अधिनियम 1984 की धारा 4 के तहत खातेदारों को नोटिस जारी कर दिया था। इसके बाद नवंबर 2011 में अधिनियम की धारा 6 के नोटिस दे दिए। इसी दौरान देशभर में भूमि अवाप्ति अधिनियम में बदलाव की मुहिम चल पड़ी। जेडीए ने नए नियम से पहले ही 31 मई 2013 को अवार्ड जारी कर दिया। जबकि नया भूमि अवाप्ति अधिनियम जनवरी 2014 से लागू हुआ। किसानों की दलील है कि जब जमीन अवाप्त नहीं हुई है तो नए नियम से ही प्रक्रिया हो। नींदड आवासीय स्कीम में मंदिर माफी की जमीन का रेफरेंस केस रेवन्यू बोर्ड व हाईकोर्ट में चल रहा है। जेडीए ने 2010 की डीएलसी के अनुसार 30 लाख रुपए प्रति बीघा का मुआवजा बनाने हुए 50 करोड़ रुपए कोर्ट में जमा करवा दिए। करीब 100 किसान परिवारों को जमीन के बदले कुछ नहीं मिला।
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(Udaipur Kiran) / राजेश