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जनहित किसान पार्टी नेता ने प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ अपना नामांकन पत्र खारिज किए जाने को हाईकोर्ट में दी चुनौती

इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रयागराज, 11 सितम्बर (Udaipur Kiran) । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ने की चाहत रखने वाले जनहित किसान पार्टी के नेता ने रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा उनका नामांकन पत्र खारिज किए जाने को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी है।

मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के रहने वाले जनहित किसान पार्टी के नेता विजय नंदन ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए दावा किया कि जिला चुनाव अधिकारी ने उनके नामांकन पत्र को इस आधार पर गलत तरीके से खारिज कर दिया कि हलफनामे का कॉलम खाली छोड़ दिया गया और कोई नया हलफनामा दाखिल नहीं किया गया था और न ही शपथ कराया गया था।

याचिकाकर्ता का दावा है कि चेकलिस्ट पर सभी दस्तावेज भारत के चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार सम्बंधित असिस्टेंट रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा ठीक से प्राप्त किए गए। रिटर्निंग ऑफिसर और असिस्टेंट रिटर्निंग ऑफिसर उम्मीदवार को शपथ दिलाने के लिए जिम्मेदार थे। याचिका में कहा गया कि शपथ लेने के बाद रसीद की मुहर पर हस्ताक्षर करके उम्मीदवार को दिया जाना था। हालांकि, ऐसा नहीं किया गया और उनके नामांकन पत्र को मनमाने ढंग से खारिज कर दिया गया।

याचिका में आगे कहा गया कि रिटर्निंग ऑफिसर के नामांकन फॉर्म अस्वीकृति आदेश दिनांक 15 मई, 2024 को ध्यानपूर्वक और विस्तृत रूप से पढ़ने से लिपिकीय गलती का पता चलता है, जिसे जांच के समय सुधारा जा सकता था। हालांकि, याचिका में तर्क दिया गया कि रिटर्निंग ऑफिसर ने ऐसा न करके अवैधानिकता कारित की। याची ने तर्क दिया कि किसी भी उम्मीदवार के नामांकन फॉर्म को केवल तभी खारिज किया जा सकता है, जब घोषणा देने में कोई तथ्य छिपाया गया हो। वर्तमान मामले में पूरे विवादित आदेश में कहीं भी यह उल्लेख नहीं किया गया कि याचिकाकर्ता ने उम्मीदवारी प्रस्तुत करते समय कोई जानकारी छिपाई।

याची ने यह भी प्रस्तुत किया है कि यदि हलफनामा कॉलम खाली छोड़ दिया गया तो यह रिटर्निंग ऑफिसर का कर्तव्य था कि वह गलती को सुधारे। याचिका में तर्क दिया गया कि लिपिकीय त्रुटि को दूर करने के बजाय रिटर्निंग अधिकारी ने प्राकृतिक न्याय का घोर उल्लंघन करते हुए याचिकाकर्ता के नामांकन फॉर्म को खारिज कर दिया, जो न्यायोचित नहीं था। यदि रिटर्निंग अधिकारी ने अवैध रूप से और कानून के अनुरूप काम किया होता तो वह याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत नामांकन फॉर्म को स्वीकार कर लेता और उसे चुनाव लड़ने की अनुमति देता।

कहा गया है कि याची को चुनाव लड़ने के उसके बहुमूल्य अधिकार से वंचित करके प्रतिवादी नंबर 4 ने कानून के विपरीत काम किया। उसका निर्णय इस न्यायालय द्वारा हस्तक्षेप किए जाने योग्य है। याचिका में यह भी कहा गया कि असिस्टेंट रिटर्निंग अधिकारी ने चुनाव आयोग के नियमों का पालन नहीं किया। यही कारण है कि सहायक रिटर्निंग अधिकारी चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार आपराधिक दंड के पात्र हैं।

याचिका में कहा गया, “भारत के 140 करोड़ नागरिक चुनाव आयोग पर भरोसा करते हैं। हमारे देश के प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को चुनने के लिए लोकसभा चुनाव में सांसदों के लिए अपना वोट देते हैं, जो देश का विकास कर सकते हैं। जिसमें जिला चुनाव अधिकारी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। वाराणसी जिला निर्वाचन अधिकारी ने भारत के 140 करोड़ नागरिकों का भरोसा तोड़कर एक खास व्यक्ति को लाभ पहुंचाने के लिए सभी नियमों का उल्लंघन किया है।

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस के अजय राय को 1,52,513 मतों से हराकर वाराणसी सीट जीती। 2014 के बाद से यह उनकी सबसे कम अंतर से जीत थी। पीएम मोदी सहित सात उम्मीदवारों ने वाराणसी सीट से चुनाव लड़ा था, क्योंकि जिला निर्वाचन अधिकारी ने कुल 36 नामांकन पत्रों को खारिज कर दिया था।

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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे

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