Jammu & Kashmir

जम्मू-कश्मीर सरकार ने एफआरए के तहत एसटी परिवारों को 65,000 कनाल से अधिक भूमि प्रदान की

जम्मू, 26 मार्च (Udaipur Kiran) । जम्मू-कश्मीर सरकार ने वन अधिकार अधिनियम के तहत भूमि स्वामित्व के 39,000 से अधिक दावों को खारिज कर दिया है लेकिन गुज्जर, बकरवाल और अन्य वनवासियों सहित 6,020 से अधिक अनुसूचित जनजाति (एसटी) परिवारों को 65,000 कनाल से अधिक वन भूमि वितरित की है।

वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि व्यक्तिगत वन अधिकार (आईएफआर) और सामुदायिक वन अधिकार (सीएफआर) के तहत अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और अन्य पारंपरिक वनवासियों (ओटीएफडी) द्वारा कुल 46,090 दावे प्रस्तुत किए गए थे। अधिकारी ने कहा कि इनमें से 39,906 दावों को आवेदकों द्वारा अपेक्षित साक्ष्य और दस्तावेज उपलब्ध कराने में असमर्थता के कारण खारिज कर दिया गया जबकि 126 दावे अभी भी लंबित हैं। उन्होंने कहा कि अधिकांश अस्वीकृतियां 35,924, दाव ग्राम सभा स्तर पर हुई। इसके अलावा उप-मंडल और जिला-स्तरीय समितियों ने 3,982 दावों को खारिज कर दिया।

वन अधिकार अधिनियम में दावों की मान्यता के लिए एक संरचित प्रक्रिया अनिवार्य है जिसमें ग्राम सभाओं, उप-मंडल समितियों और जिला-स्तरीय समितियों द्वारा निर्धारित प्रक्रियाओं और मानदंडों के आधार पर अनुमोदन दिया जाता है। अधिकारी ने कहा कि इन मानदंडों को पूरा करने में विफल रहने वाले आवेदनों पर विचार नहीं किया जाता है। हालांकि जिन आवेदकों के दावे खारिज कर दिए जाते हैं, उन्हें उच्च स्तर पर अपील करने का अधिकार है जिसकी अंतिम अपील जिला-स्तरीय समिति द्वारा सुनी जाती है।

वन अधिकार अधिनियम 2006 को अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद 2019 में जम्मू और कश्मीर में लागू किया गया था। अधिकारियों ने कहा कि जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा वितरित 65,497.21 कनाल वन भूमि में से 784.19 कनाल अन्य पारंपरिक वनवासियों (ओटीएफडी) को आवंटित की गई। ये जमीनें 4,803 मामलों के तहत दी गईं जिनमें 430 व्यक्तिगत वन अधिकार (आईएफआर), 4,277 सामुदायिक वन अधिकार (सीएफआर) और 96 सामुदायिक वन अधिकार शामिल हैं।

अधिकारियों ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में एफईए का कार्यान्वयन कानूनी और प्रशासनिक मानदंडों के अनुपालन को सुनिश्चित करते हुए आदिवासी समुदायों के अधिकारों को मान्यता देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

(Udaipur Kiran) / सुमन लता

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