HEADLINES

जमीअत उलमा-ए-हिंद ने वक्फ संशोधन कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी

जमीअत उलमा-ए-हिंद

– याचिका में केंद्र सरकार को नोटिफिकेशन जारी करने से रोकने के लिए अंतरिम आदेश जारी करने की मांग

नई दिल्ली, 06 अप्रैल (Udaipur Kiran) । संसद के दोनों सदनों से पारित वक्फ संशोधन कानून को राष्ट्रपति की मंज़ूरी मिलने के बाद जमीअत उलमा-ए-हिंद ने इस कानून की संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी का कहना है कि यह कानून भारतीय संविधान पर सीधा हमला है। भारत का संविधान न सिर्फ सभी नागरिकों को समान अधिकार देता है, बल्कि पूर्ण धार्मिक स्वतंत्रता भी प्रदान करता है। यह कानून मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता छीनने की साजिश है, जो पूरी तरह संविधान के खिलाफ है।

जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि हमने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि अगर यह बिल कानून बन गया तो हम इसे देश की सर्वोच्च अदालत में चुनौती देंगे। इसलिए राष्ट्रपति की मुहर लगते ही जमीअत ने आज इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दाखिल कर दी है। उन्होंने

कहा कि जमीअत की राज्य इकाइयां भी इस कानून के खिलाफ संबंधित राज्यों के हाई कोर्ट में याचिकाएं दाखिल करेंगी। उन्हें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है कि इस असंवैधानिक कानून पर भी हमें न्याय मिलेगा। तथाकथित सेक्युलर दलों की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि हमने इस कानून को रोकने के लिए हरसंभव प्रयास किए, लेकिन खुद को सेक्युलर कहने वाली पार्टियों ने न सिर्फ मुसलमानों के हितों का सौदा किया, बल्कि संविधान को भी अपने पैरों तले कुचल डाला और अपने असली चेहरे को पूरे देश के सामने उजागर कर दिया।

मौलाना ने उन सभी सेक्युलर सांसदों का शुक्रिया अदा किया, जो देर रात तक संसद में डटे रहे और इस कानून के संभावित दुष्परिणामों को अपने भाषणों के ज़रिए उजागर किया। साथ ही उन्होंने उन न्यायप्रिय नागरिकों का भी आभार प्रकट किया, जो संसद के बाहर इस कानून के खिलाफ आवाज़ बुलंद करते रहे। उन्होंने कहा कि इससे साबित होता है कि आज भी देश में ऐसे लोग मौजूद हैं जिनमें अन्याय के खिलाफ बोलने का साहस और जज़्बा है। यह कानून केवल धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं है, बल्कि संविधान द्वारा प्रदत्त धार्मिक स्वतंत्रता और उसके मार्गदर्शक सिद्धांतों के विरुद्ध है।

उन्होंने कहा कि यह कानून मुसलमानों की भलाई के नाम पर लाया गया है, लेकिन वास्तव में यह उनकी धार्मिक स्वतंत्रता पर गंभीर हमला है। वक्फ संशोधन कानून की विभिन्न धाराओं को न केवल चुनौती दी है, बल्कि इस कानून के लागू होने को रोकने के लिए अदालत से अंतरिम राहत (इंटरिम ऑर्डर) की भी अपील की है। यह याचिका संशोधन अधिनियम की धारा 1(2) के तहत दाखिल की गई है। एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड फ़ुजैल अय्यूबी ने यह याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की है।

(Udaipur Kiran) /मोहम्मद ओवैस

—————

(Udaipur Kiran) / Abdul Wahid

Most Popular

To Top