
शिमला, 25 मई (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन के चीफ इंजीनयर विमल नेगी की रहस्यमयी मौत को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने रविवार को प्रेसवार्ता कर सरकार और प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि राज्य में भ्रष्टाचार चरम पर है और इसी भ्रष्टाचार को छुपाने के प्रयास में एक ईमानदार अधिकारी की जान चली गई। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार अपने नेताओं के भ्रष्टाचार को ढकने के लिए बलि दे रही है और यह पहला मामला नहीं हो सकता।
जयराम ठाकुर ने कहा कि पूरा विपक्ष मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के इस्तीफे की मांग कर रहा है। उनका कहना था कि मुख्यमंत्री का पद पर बने रहना नैतिक रूप से गलत है क्योंकि सरकार विमल नेगी के परिजनों को न्याय से वंचित करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि नेगी परिवार शुरू से ही सीबीआई जांच की मांग कर रहा था, लेकिन मुख्यमंत्री बार-बार यह झूठ बोलते रहे कि कोई मांग नहीं की गई। अब जब हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दे दिया है तो इससे मुख्यमंत्री के झूठ की पोल खुल गई है। उन्होंने न्यायालय का आभार भी जताया।
विपक्ष के अनुसार नेगी की मौत के पीछे पेखुबेला सोलर पावर प्रोजेक्ट में हुआ भ्रष्टाचार एक प्रमुख कारण है। जयराम ठाकुर ने दावा किया कि इस प्रोजेक्ट में 10% लिक्विडेशन चार्ज के रूप में 22 करोड़ रुपये काटे जाने थे, लेकिन दबाव डालकर 13 करोड़ रुपये की पेमेंट करवाई गई। यह पूरी कार्रवाई भ्रष्टाचार के दबाव में की गई और इससे यह स्पष्ट होता है कि अधिकारियों पर दबाव बनाकर फैसले करवाए गए। उन्होंने आरोप लगाया कि इस घोटाले के पीछे कांग्रेस नेताओं और सरकार में बैठे कुछ अफसरों की मिलीभगत है जिन्हें राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है।
जयराम ठाकुर ने शिमला के पुलिस अधीक्षक को लेकर भी गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा एसपी को अनावश्यक रूप से शक्तिशाली बना दिया गया है और जिस तरह से वह अपने उच्च अधिकारी डीजीपी के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं, वह गंभीर चिंता का विषय है। डीजीपी द्वारा उच्च न्यायालय में दिए गए हलफनामे में एसपी पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं, जो पुलिस में अनुशासनहीनता की ओर इशारा करते हैं। उन्होंने कहा कि यह पहली बार है जब कोई पुलिस अधिकारी खुलेआम डीजीपी, पूर्व डीजीपी, चीफ सेक्रेटरी और यहां तक कि भाजपा पर आरोप लगा रहा है, जो हिमाचल के इतिहास में कभी नहीं हुआ।
उन्होंने आरोप लगाया कि एसपी और एडवोकेट जनरल द्वारा न्यायालय के फैसले को मीडिया के माध्यम से चुनौती देना अदालत की अवमानना है और इस पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह स्थिति प्रदेश की न्यायिक व्यवस्था और प्रशासनिक अनुशासन के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रही है।
विपक्ष ने नेगी की फॉरेंसिक रिपोर्ट में सामने आए तथ्यों पर भी सवाल उठाए। उनका कहना है कि अधिकारी की पेन ड्राइव को जानबूझकर फॉर्मेट किया गया, जो सबूतों से छेड़छाड़ का मामला है। उन्होंने मांग की कि इस पेन ड्राइव को ले जाने वाले पुलिसकर्मी पंकज की भूमिका की जांच हो और यह स्पष्ट किया जाए कि यदि वह लाइनहाजिर है तो उसे सुरक्षा की जरूरत क्यों महसूस हो रही है।
जयराम ठाकुर ने निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए कहा कि उच्च न्यायालय ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि इस मामले की जांच में कोई भी हिमाचल पुलिस अधिकारी शामिल न हो, इसलिए इस आदेश को गंभीरता से लागू किया जाए। उन्होंने कहा कि सीबीआई देश की सबसे भरोसेमंद जांच एजेंसी है और सरकार को उस पर विश्वास दिखाना चाहिए।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
