जयपुर, 11 सितंबर (Udaipur Kiran) । भारतीय हस्तशिल्प क्षेत्र में नवाचार और सामाजिक प्रभाव का प्रतीक, जयपुर रग्स ने एक बार फिर अपनी नेतृत्व क्षमता को साबित किया है। कंपनी को बेस्ट हैंडीक्राफ्ट-हैंडलूम रिटेलर और सोशल आंत्रप्रेन्योर ऑफ द ईयर के खिताब से नवाजा गया है।
जयपुर के एक निजी होटल में आयोजित सम्मान समारोह में उद्योग जगत के अग्रणी और विशिष्ट मेहमानों ने जयपुर रग्स की उपलब्धियों का जश्न मनाया। बेस्ट हैंडीक्राफ्ट-हैंडलूम रिटेलर के रूप में सम्मानित जयपुर रग्स की भारतीय पारंपरिक शिल्प को संजोने और बढ़ावा देने के प्रयासों की सराहना की गई। कंपनी के नैतिक रूप से सोर्सेड और सतत रूप से उत्पादित प्रोडक्ट्स ने उद्योग में नई मिसाल कायम की है, जो शिल्प और स्थिरता के प्रति गहरे सम्मान को दर्शाता है।
नई दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित एक अन्य सम्मान समारोह में ‘सोशल आंत्रप्रेन्योर ऑफ द ईयर’ का खिताब जयपुर रग्स को मिला। यह सम्मान कंपनी के अग्रणी बिजनेस मॉडल को पहचानता है, जो कारीगरों और उनके समुदायों को सशक्त बनाता है। नई सोच के जरिये, कंपनी ने स्थायी आजीविका को बढ़ावा दिया है और सामाजिक बदलाव को समर्थन दिया है, जिसका क्षेत्र पर गहरा प्रभाव पड़ा है। यह मान्यता जैपुर रग्स के समाज को आगे बढ़ाने वाले सार्थक पहलों के प्रति समर्पण को रेखांकित करती है।
जयपुर रग्स ने कारीगरों से सीधे जुड़कर उनकी ज़िंदगी को समझते हुए उन्हें स्थायी और गरिमापूर्ण आजीविका प्रदान की है। इस सम्मान पर टिप्पणी करते हुए, जयपुर रग्स के संस्थापक नंद किशोर चौधरी ने कहा, इन पुरस्कारों से सम्मानित होना हमारे लिए गर्व की बात है। ये हमारे कारीगरों की कड़ी मेहनत और समर्पण का प्रमाण हैं, जो जयपुर रग्स की आत्मा हैं। हमारी सफलता उनकी सफलता है, और हम उन्हें आगे बढ़ने के असीमित अवसर और एक सकारात्मक कार्य वातावरण देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। ये पुरस्कार हमारे निरंतर प्रयासों को मान्यता देते हैं, जिससे उनके लिए एक बेहतर और समतामूलक भविष्य का निर्माण हो सके।
पिछले 45 सालों से जयपुर रग्स ने कारीगरों और ग्राहकों को दुनिया भर में जोड़ा है, उन कालीनों के माध्यम से जो उनके समुदायों की समृद्ध कहानियाँ बुनते हैं। कंपनी परंपरा और नई सोच के संगम के प्रति समर्पित है और अपनी शिल्प और दृष्टि के माध्यम से समाज पर सार्थक प्रभाव डालना जारी रखेगी।
उल्लेखनीय है कि जयपुर रग्स एक पारिवारिक व्यवसाय है जो पैतृक ज्ञान की रक्षा करने और ग्रामीण शिल्प कौशल को वैश्विक उपभोक्ताओं के साथ जोड़ने के उद्देश्य से मजबूत हुआ है। देशभर में कंपनी से 40 हजार ग्रामीण कारीगरी जुड़े हैं। नंद किशोर चौधरी 1978 में केवल दो करघों के साथ इसकी शुरूआत की थी। अब सात हजार से अधिक करघे हैं। यहां हस्तनिर्मित कालीन बनाई जाती है, जो 90 से अधिक देशों में निर्यात होती है।
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(Udaipur Kiran)