Madhya Pradesh

जबलपुरः वन अधिकार अधिनियम के संबंध में कार्यशाला संपन्‍न

जबलपुरः वन अधिकार अधिनियम के संबंध में कार्यशाला संपन्‍न

जबलपुर, 21 मई (Udaipur Kiran) । वन अधिकार अधिनियम 2006 के क्रियान्‍वयन के संबंध में आयोजित दो दिवसीय जिला स्‍तरीय वन अधिकार समितियों का प्रशिक्षण सह कार्यशाला होटल कल्‍चुरी में आयोजित की गई। जिसमें प्रथम दिन मंगलवार को जबलपुर और सागर संभाग के जिला पंचायत व जनपद सदस्‍य के साथ अशासकीय सदस्‍य उपस्थित थे। कार्यशाला के दूसरे दिन बुधवार को जबलपुर संभाग के संभागायुक्‍त धनंजय सिंह भदौरिया और सागर संभाग के संभागायुक्‍त वीरेन्‍द्र सिंह रावत और दोनों संभागों के कलेक्‍टर्स, वन मंडलाधिकारी और सीईओ जिला पंचायत मौजूद थे।

कार्यशाला के प्रथम सत्र में बुधवार को एसीएस फोरेस्‍ट ने वन अधिकार अधिनियम 2006 के प्रभावी क्रियान्‍वयन के संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि वन ग्राम से राजस्‍व ग्राम में संपरिवर्तन करने के लिए जो गाइडलाईन है उसका पालन करें तथा रिकॉर्ड संधारित करें। सामुदायिक वन अधिकार, सामुदायिक वन संसाधन व उनके प्रबंधन राज्‍य सरकार की प्राथमिकता में है, अत: इसे समय सीमा में पूर्ण करें। जबलपुर कमिश्‍नर भदौरिया ने कहा कि वन अधिकार अधिनियम के क्रियान्‍वयन के लिए जो निर्देश है, उसे फील्‍ड पर प्रभावी क्रियान्‍वयन करने की दिशा में काम किया जाये।

डायरेक्‍टर आदिम जाति क्षेत्रीय विकास वंदना वैद्य ने जिला स्‍तरीय समिति के साथ प्रशिक्षण कर इस दिशा में प्रभावी कार्य करने के निर्देश दिये। कार्यशाला के दौरान रिसोर्स पर्सन श्री वाय गिरी राव वसुंधरा, मिलिन्‍द थेटे और डॉ. शरद लेले ने सामुदायिक वन अधिकारों के प्रकार और उनके प्रावधानों के बारे में विस्‍तार से जानकारी दी। वहीं सामुदायिक वन संसाधन के संरक्षण एवं प्रबंधन के अधिकारों के संबंध में मिलिन्‍द थेटे ने वन अधिकार अधिनियम 2006 के क्रियान्वयन के संबंध में बताया। कार्यशाला में बताया गया कि मध्य प्रदेश राज्य वन अधिकार की प्रक्रिया में अग्रणी राज्य रहा है, अधिनियम के प्रारंभ से राज्य सरकार द्वारा पूरी संवेदनशीलता के साथ अधिनियम का क्रियान्वयन किया गया है।

कार्यशाला में बताया गया कि वर्ष 2019 से मध्य प्रदेश सरकार द्वारा जो दावे निरस्त हुए थे, उनके पुनः परीक्षण के लिए एमपी वन मित्र पोर्टल को प्रारंभ किया गया। इस पोर्टल के माध्यम से पूरी पारदर्शिता एवं जवाबदेही के साथ दावों के निराकरण की पुनः परीक्षण की प्रक्रिया को प्रारंभ किया गया। पुनः परीक्षण में अभी तक 30 हजार से अधिक दावे मान्य हुए हैं, जब से वन अधिकार अधिनियम लागू हुआ है तब से लेकर अभी तक 2 लाख 53 हजार से ज्यादा व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र और लगभग 27 हजार के आसपास सामुदायिक दावे मान्य किए गए हैं।

भारत सरकार द्वारा प्रारंभ किये गये नवीन अभियान धरती आबा जनजाति ग्राम उत्कर्ष अभियान में भी वन अधिकार को प्रमुखता दी गई है, भारत सरकार द्वारा सामुदायिक वन संसाधनों के संरक्षण एवं प्रबंधन के अधिकारों को मान्यता देने के लिए 300 ग्रामों में 15 करोड़ की स्वीकृति दी गई है, इसमें प्रति हेक्टेयर रुपए 15 हजार के मान से अधिकतम 100 हेक्टेयर तक के लिए 15 लाख रुपए स्वीकृत किये गये हैं। यह राशि भारत सरकार से प्राप्त हो चुकी है, इसके अलावा प्रत्येक जिले में एफआरए सेल के गठन की भी स्वीकृति भारत सरकार द्वारा दी गई है राज्य स्तर पर भी एक स्टेट एफआरए सेल की स्वीकृति भारत सरकार द्वारा 2 वर्ष के लिए प्रदान की गई है। स्‍टेट एफआरए सेल एवं डिस्‍ट्रिक्‍ट एफआरए सेल को 1 जून से किए जाने प्रारंभ किये जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

आज की कार्यशाला में विशेष रूप से भारत सरकार द्वारा स्वीकृत 300 ग्रामों के सामुदायिक वन संसाधन एवं संरक्षण के अधिकारों को मान्यता दिये जाने की कार्यवाही एवं प्रक्रिया अपनाने के लिए प्रशिक्षण सह कार्यशाला की संभाग स्तरीय प्रशिक्षण की श्रृंखला प्रारंभ हुई है। संभागीय कार्यशालाओं के आयोजन के पश्चात जिला स्तर पर उपखंड स्तरीय समितियों तथा ग्राम वन अधिकार समितियों के लिये प्रशिक्षण सह कार्यशालाएं आयोजित की जाएगी।

कार्यशाला के दौरान कार्यशाला में पहुंचे कलेक्‍टर्स ने भी वन अधिकार अधिनियम 2006 के क्रियान्‍वयन के संबंध में प्रेजेन्‍टेशन दिया और इसे प्रभावी रूप से लागू करने को कहा। इस दौरान वन मंडलाधिकारी भी अधिनियम के क्रियान्‍वयन के संबंध में आ रही बाधाओं के संबंध में चर्चा कर उन्‍हें दूर कर शासन से जो निर्देश हैं उस आधार पर कार्य करने को कहा। कार्यशाला में उपायुक्‍त आदिम जाति कार्य विभाग जेएस सरवटे, सहायक आयुक्‍त आदिम जाति कल्‍याण विभाग एनएस रघुवंशी सहित अन्‍य संबंधित अधिकारी मौजूद थे।

(Udaipur Kiran) तोमर

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