जबलपुर, 27 जुलाई (Udaipur Kiran) ।
धर्मशास्त्र राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (डीएनएलयू) ने पीडीपीएम आईआईआईटीडीएम परिसर में भारतीय विधि आयोग के साथ संयुक्त रूप से आयोजित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डीप फेक और एआई के लिए नियामक तंत्र पर राष्ट्रीय सम्मेलन की सफलतापूर्वक मेजबानी की।
सम्मेलन का उद्घाटन मुख्य अतिथि माननीय न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के माननीय कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की उपस्थिति में हुआ। मुख्य भाषण देते हुए न्यायमूर्ति सचदेवा ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के न्यायिक निहितार्थों के बारे में व्यापक अनुभव और अंतर्दृष्टि साझा की। माननीय न्यायमूर्ति सचदेवा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि जब बात विनियमन या समाज और विभिन्न हितधारकों, विशेषकर न्यायपालिका पर एआई के प्रभावों की पहचान करने की आती है, तो भारत ने हिमशैल की नोक को छुआ भी नहीं है। उन्होंने विभिन्न मुद्दों पर प्रकाश डाला, जिनसे निपटने और उन पर निर्णय लेने के लिए कानून तैयार नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि न्यायाधीश और कानूनी क्षेत्र एआई के लिए तैयार नहीं हैं।
कार्यक्रम के शुरुवात में डीएनएलयू के कुलपति प्रो. (डॉ.) मनोज कुमार सिन्हा ने गणमान्य व्यक्तियों, अतिथियों और छात्रों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि एआई से निपटने में विशेषज्ञता की कमी कैसे रही है। उन्होंने यह भी कहा कि बीसीआई चाहता है कि लॉ स्कूल राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप नए विषयों को पेश करें ताकि प्रौद्योगिकी के साथ एकीकरण हो और कानूनी क्षेत्र में सभी हितधारकों के साथ सहयोग किया जा सके।
डॉ. रीता वशिष्ठ, आईएलएस, सदस्य सचिव, भारतीय विधि आयोग ने भी समारोह को संबोधित किया। उन्होंने १० क्षेत्रीय भाषाओं में दस्तावेजों का अनुवाद करने के लिए न्यायिक प्रणाली में एआई को एकीकृत करने के लिए न्यायपालिका की सराहना की।
प्रमुख सत्रों में ‘डीप फेक के संदर्भ में एआई’ शामिल था, जिसमें प्रो. (डॉ.) आनंद पालीवाल, प्रो. (डॉ.) राका आर्या, अंशकालिक सदस्य, एलसीआई, प्रो. (डॉ.) प्रीति खन्ना, प्रोफेसर प्रभारी आईआईआईटीडीएम और डॉ. गार्गी चक्रवर्ती, एसोसिएट प्रोफेसर डीएनएलयू जैसे प्रतिष्ठित पैनलिस्ट शामिल थे।
सम्मेलन का समापन माननीय न्यायमूर्ति विशाल धगत, न्यायाधीश, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की शोभामय उपस्थिति में हुआ। समापन भाषण देते हुए न्यायमूर्ति धगत ने दिन भर की चर्चाओं और अंतर्दृष्टि को समाहित किया गया, जो नैतिक मानकों को बनाए रखते हुए विभिन्न क्षेत्रों में एआई के एकीकरण पर एक दूरंदेशी परिप्रेक्ष्य प्रदान करता है। इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि एआई में बुद्धिमत्ता है लेकिन ज्ञान नहीं है और हमें रचनात्मकता को अपने पास रखना चाहिए और मैनुअल काम को एआई के पास रखना चाहिए।
समापन सत्र के दौरान, स्वागत भाषण आईआईआईटीडीएम के निर्देशक प्रो (डॉ.) भारतेंदु के. सिंह ने दिया, उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी, डिजाइन और विनिर्माण संस्थान के रूप में आईआईटीडीएम लगभग हर दिन एआई से निपट रहा है और इस सम्मेलन के माध्यम से कानूनी क्षेत्र के दृष्टिकोण मददगार होंगे। उन्होंने सम्मेलन के अंतःविषय पहलू की सराहना की |
जिसके बाद भारतीय विधि आयोग के सदस्य माननीय न्यायमूर्ति के.टी. शंकरन जिन्होंने हमें पुरानी यादों में ले जाकर समाज पर प्रौद्योगिकी के प्रभावों पर प्रकाश डाला।
(Udaipur Kiran) / विलोक पाठक / राजू विश्वकर्मा